पुरातत्व विशेषज्ञों ने छठी सदी के चीनी सम्राट के अवशेषों से मिले पुरातन डीएनए का उपयोग कर उसका चेहरा बनाने में सफलता हासिल की है. इस सम्राट के बारे में बाताया जाता है कि उसने देश के अंधकार युग में शासन किया था.  सम्राट वू चीन के उत्तरी  झोऊ वंश का शासक था जिसने पुरातन चीन के उत्तरी हिस्सों को एक किया था.

पुरातत्व विदों ने 1996 में उत्तर पश्चिमी चीन में एक मकबरा खोजा था.  करंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्तों ने इसी में अवशेषों से जेनेटिक पदार्थ हासिल किए जिसमें एक पूरी की पूरी खोपड़ी शामिल थी.

विशेषज्ञों ने  इससे सम्राट की शक्लोसूरत, सेहत और वंशावली की जानकारी हासिल करने का प्रयास किया. उनके मुताबिक यह जियानबेई नाम के खानाबदोश समूह का सम्राट था और यह आज के उत्तरी और उत्तर पूर्वी चीन के साथ मंगोलिया के इलाको में रहा करता था.

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इसके बाद विशेषज्ञों ने इस मकबरे में से हासिल किए गए डीएनए की जीनोम सीक्वेंसिंग की और जिससे पता चला कि इस शासक के कारे बाल, कत्थई आंऱखे और चमड़ी का रंग भी कुछ गहरा था. शंघाई स्थिति फुदान यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और सह लेखक शाओकिंग वेन ने बताया कि कि  कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि जियानबेई समुदायों के लोगों की मोटी दाड़ी ,ऊंचा नाक के बीच हिस्सा और पीले बाल हुआ करते थे.

वहीं इस अध्ययन में उन्होंने पाया कि सम्राट वू के पूर्वी और उत्तर पूर्वी एशियाई चेहरे वाले गुण थे. पुरातत्वविदों को लगता है कि उन्होंने सम्राट की मौत के कारण का भी पता लगा सकते हैं. अध्ययन में स्पष्ट बताया गया है कि उसकी 36 साल की उम्र में अकस्मात ही मौत हो गई थी. अगर उसकी मौत का कारण पता चल गया तो इतिहासकारों को यह रहस्य सुलझाने में मदद मिल सकेगी कि क्या उसकी मौत बीमारी से हुई थी या फिर उसने जगह दिया गया था जैसा कि कुछ ऐतिहासिक किताबों में दोनों का उल्लेख पाया गया है.

शोधकर्ता अभी तक सम्राट की मौत का निश्चित कारण पता लगाने में निर्णायक रूप से सफल नहीं हुए, फिर भी उन्हें लगता है कि स्ट्रोक की संभावना हो सकती है. पिछले कुछ समय से पुरारातत्व पुरातन डीएनए तकनीक का इस्तेमाल तेजी से कर रहे हैं. इसके जरिए वे हड्डियों, दातों, पुरानी वस्तुओं और गुफाओं की धूल से बहुत ही उपयोगी जानकारी हासिल करने में सफल हो रहे हैं.

अवशेषों से मिली जेनेटिक जानतकारी का उपयोग टीम ने यह अनुमान लगाया कि सम्राट दिखता कैसे होगा और उस आधार पर त्रि आयमी चेहरे का निर्माण किया. एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह अध्ययन सम्राट वू के बारे में कई नई जानकारी देने वाला साबित हो रहा है और उसका चेहरा विश्वसनीय तौर बन पड़ा है.

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