
ज़िंदगी में छोटी-छोटी बातें कभी-कभी बड़े राज़ खोल देती हैं. अमेरिका की रहने वाली एक फ्लाइट अटेंडेंट के साथ ऐसा ही कुछ हुआ, जब टूटे हुए चश्मे की वजह से महिला की जान बच गई. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर एक टूटा चश्मा किसी की जान कैसे बचा सकता है. ऐसे में आपको एक बार उस महिला की कहानी को जानना होगा.
34 साल की इस महिला का नाम एश्ले आर्मस्टेड (Ashley Armstead) है, जो अमेरिका ओहायो में फ्लाइट अटेंडेंट है. सालों से एश्ले चश्मा पहना करती थीं. लेकिन पिछले दो सालों में उनकी नजर कमजोर होती चली गई. इसे उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया. लेकिन एक दिन उनका चश्मा टूट गया और फिर जिस खौफनाक सच्चाई के बारे में पता चला, वो जानकर उनके होश उड़ गए.

अचानक उनकी आंखों में तेज दर्ज होने लगा. फिर जब वो डॉक्टर को दिखाने पहुंची तो रिपोर्ट देखकर वो भी दंग रह गए. एक साधारण आंखों की जांच ने उनकी ज़िंदगी को उलट-पुलट कर दिया. एश्ले ने अपने लिए नए चश्मे ऑर्डर कर दिए, लेकिन बिना चश्मे के उन्हें भयानक सिर दर्द होने लगा. उन्होंने बताया, “मेरी नजर धुंधली हो रही थी और सिरदर्द दिन-रात नहीं रुक रहा था.”
फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए तेज नजर जरूरी थी, इसलिए एश्ले ने तुरंत आंखों की जांच के लिए अपॉइंटमेंट ले लिया. उन्होंने कहा, “मैंने अपने हेल्थकेयर से एक ऑप्टोमेट्रिस्ट ढूंढा, सोचा बस रुटीन चेकअप होगा. लेकिन वहां से सब कुछ बदल गया.” ऑप्टोमेट्रिस्ट को उनकी दाहिनी आंख के पीछे सूजन दिखा.
ऐसे में उसी दिन उन्हें नेत्र रोग विशेषज्ञ (Eye Specialist) के पास भेजा. टेस्ट में पता चला कि उनकी आंख की रेटिना (न्यूरोरेटिनाइटिस) अलग हो रही थी और उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर पर था. एश्ले ने आगे कहा, “तब मुझे लगा कि बात गंभीर है, मेरे ब्लड प्रेशर और आंख की हालत देखकर मुझे तुरंत इमरजेंसी रूम जाने को कहा गया.” अस्पताल में कई और जाँच किए गए, जिसमें स्पाइनल टैप भी शामिल था. इसके बाद असली कारण सामने आया.
एश्ले को एक दुर्लभ बीमारी इडियोपैथिक इंट्राक्रैनियल हाइपरटेंशन (IIH) थी. इस बीमारी की वजह से मस्तिष्क में अतिरिक्त सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF) जमा हो जाता है, जो मस्तिष्क और आंखों पर खतरनाक दबाव डालता है. पहले से किडनी की बीमारी से जूझ रही एश्ले के लिए ये एक डरावना पल था. उन्हें एक हफ्ते तक फ्लूइड निकालने की दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. उन्होंने कहा, “मुझे डर था कि मैं अपनी नौकरी, अपनी ज़िंदगी, सब खो दूंगी. लेकिन मुझे इस बात सुकून था कि दर्द का कारण अब पता चल गया था.”
इसके बाद तुरंत डॉक्टरों ने एश्ले के दिमाग की इमर्जेंसी सर्जरी की. सर्जरी में उनके मस्तिष्क में वेंट्रिकुलोपेरीटोनियल (VP) शंट लगाया गया, जो अतिरिक्त फ्लूइड को मस्तिष्क से पेट तक ले जाता है. उन्होंने समझाया, “ज़्यादा फ्लूइड से दबाव बढ़ता है, जिससे माइग्रेन, स्ट्रोक या अंधापन हो सकता है. शंट मेरे सिर से शुरू होकर गर्दन, कॉलरबोन होते हुए पेट तक जाता है. फ्लूइड पेट में जाता है और फिर शरीर उसे संभाल लेता है.”सर्जरी कामयाब रही, लेकिन इसका असर सिर्फ़ शारीरिक नहीं था.
