रायपुर। महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति ने अपने लोगों को रेवड़ी बांटने के लिए तमाम नियमों को धता बताते हुए अपने अनुसार नियमों में परिवर्तन कर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के परिनियमों में बदलाव किए और महात्मा गांधी वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय (सांकरा, पाटन), ने सहायक प्राध्यापक समेत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारी भर्ती का विज्ञापन निकाला है, जिसमें भारी अनियमितता सामने आई है।
दरअसल विश्वविद्यालय ने इस वर्ष सहायक प्राध्यापक के कुल 38 पदों एवं तृतीय और चतुर्थ वर्ग कर्मचारी के 21 पदों पर भर्ती के विज्ञापन जारी किए थे।
यह पूरा कृत्य महात्मा गांधी वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 की धारा 50 (क) व (ख) एवं धारा 58 (3) में उल्लिखित नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि इस तरह के बदलावों को करने के दौरान ना ही प्रबंध मंडल का गठन किया गया, ना ही कुलाधिपति महोदय से किसी तरह का अनुमोदन प्राप्त किया गया।
प्रदेश में जहाँ एक ओर पीएससी के परिणाम को लेकर युवाओं में असंतोष एवं आक्रोश देखने को मिल रहा है। वहीं इस मामले में उच्च न्यायालय की सख्त टिप्पणी के बाद भूपेश सरकार की किरकिरी भी हो रही है। ऐसे समय में प्रदेश के ही एक अन्य विश्वविद्यालय से एक बार फिर कर्मचारी भर्ती में बड़ा घोटाला देखने को मिल रहा है।
इस दौरान कुछ पदों पर व्यापक स्तर पर अनियमितता एवं गाइड लाइंस का उल्लंघन देखा जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकार के नियमों के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों की सीधी भर्ती में स्किल टेस्ट लेने का प्रावधान नहीं है, बावजूद इसके महात्मा गांधी वानिकी एवं उद्यानिकी विश्वविद्यालय ने इन भर्तियों में स्किल टेस्ट के नाम से 30 एवं 40 अंक निर्धारित किए हैं।
इस मामले से हास्यास्पद तो यह है कि इन्होंने भृत्य के पदों पर भर्ती के लिए 40 अंक स्किल टेस्ट हेतु निर्धारित किए हैं। इस तरह के प्रावधान जोड़ने का सीधा आशय यह दिखता है कि इसमें प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भ्रष्टाचार कर अपने करीबियों को भर्ती करने की योजना है।
वहीं यदि हम सहायक प्राध्यापक पद की बात करें तो, विश्वविद्यालय के कुलपति ने महात्मा गांधी विश्वविद्यालय अधिनियम 2019 के नियमों का भी पालन नहीं किया है। उन्होंने जिस प्रकार से पदों के स्कोरकार्ड में बदलाव किए हैं, वह पूरी तरह नियमों के विरुद्ध है।
महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर एस कुरील पर पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। भ्रष्टाचार में संलिप्तता के चलते उन्हें पूर्व के तीन विश्वविद्यालयों से कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही निकाल दिया गया था। राष्ट्रपति महोदय ने इन्हें वित्तीय अनियमितता एवं भ्रष्टाचार के अन्य मामलों के चलते बिहार कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति पद से हटाया था। डॉ आर एस कुरील पर 49 करोड़ से अधिक रुपयों के घोटाले का मामला चल रहा है।