
जगदलपुर। गरीबों के हक पर डाका डालने वालों के खिलाफ बस्तर जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में फर्जी तरीके से बने 3000 राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई उस जांच का हिस्सा है, जिसमें हजारों संदिग्ध कार्डधारियों की सूची तैयार की गई थी। इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है।
जांच के दौरान सामने आया कि जिन लोगों ने फर्जी तरीके से बीपीएल कार्ड बनवाए थे, उनमें बड़े किसान, सरकारी कर्मचारी और यहां तक कि व्यापारी तक शामिल हैं। खास बात यह है कि इनमें से कुछ व्यापारियों का सालाना टर्नओवर 25 लाख रुपये से अधिक है, जबकि सरकार द्वारा बीपीएल कार्ड केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए बनाए जाते हैं।

63 हजार संदिग्धों की बनी थी सूची
राज्य सरकार को केंद्र सरकार की ओर से 63,134 संदिग्ध कार्डधारियों की सूची जांच के लिए सौंपी गई थी। इस सूची के आधार पर जिला प्रशासन ने जांच शुरू की। इसमें कई ऐसे लोग मिले जिन्होंने लंबे समय से राशन ही नहीं लिया था, फिर भी उनके नाम पर बीपीएल कार्ड जारी था। वहीं कुछ लोग आर्थिक रूप से मजबूत होते हुए भी सरकारी लाभ उठा रहे थे।
गरीबों के हक पर डाका
जांच रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ कि फर्जी कार्डधारी लंबे समय से बीपीएल श्रेणी के तहत मिलने वाले राशन और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे थे। ऐसे लोग जो वास्तव में गरीब और जरूरतमंद हैं, वे अक्सर पात्रता के बावजूद योजना का लाभ नहीं ले पा रहे थे। प्रशासन ने इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई तेज कर दी।
कार्ड रद्द, आगे और कार्रवाई संभव
अब तक 3 हजार फर्जी राशन कार्ड रद्द कर दिए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी और जिनके पास गलत तरीके से कार्ड बने पाए जाएंगे, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही गलत तरीके से लिए गए राशन और सब्सिडी की रिकवरी भी संभव है।
