दुर्ग। जिले में स्थित विज्ञान विकास केंद्र में रह रही बीएससी सेकंड ईयर की स्टूडेंट्स ने खुदकुशी कर ली है। इस मामले में पुलिस और हॉस्टल अधीक्षक का कहना है कि लड़की की मौत दवा का अधिक डोज लेने से हुई है। मां के मुताबिक हॉस्टल में लड़की के पास इतनी मात्रा में दवा आई कहां से, उन्होंने छात्रावास की व्यवस्था और जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हुए न्याय की मांग की है।

पद्मनाभपुर पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक उनके पास आदिवासी छात्रावास से रविवार सुबह 9 बजे फोन आया था कि केमलता मंडावी पिता कार्तिराम ने कुछ खा लिया है। उसे 112 की मदद से जिला अस्पताल पहुंचाया गया। वहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पुलिस मौके पर पहुंची और पंचनामा कार्रवाई के बाद शव पीएम के लिए भेज दिया।

डॉक्टरों ने बताया कि लड़की ने दवा का अधिक डोज खा लिया और काफी देर तक किसी को कुछ नहीं बताया। इससे उसकी तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हुई। पुलिस ने मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। मामले में अधीक्षक निशा बांधे और मृतिका की मां गिरजा बाई से बयान ले लिया है। हॉस्टल में रह रहे बच्चों से भी पूछताछ की जा रही है।

मृतिका की मां ने लगाए गंभीर आरोप

केमलता की मां गिरजा बाई ने हॉस्टल प्रबंधन पर कई आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अपनी बेटी को जिला प्रशासन की निगरानी में हॉस्टल पढ़ने के लिए भेजा। वहां अधीक्षक से लेकर इतना स्टाफ रहता है। उन्हें बच्चियों की जिम्मेदारी सौंपते हैं, लेकिन यहां लापरवाही हुई है। गिरजा बाई ने पुलिस प्रशासन पर भी कई आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक उनकी बेटी की मौत हॉस्टल प्रबंधन की लापरवाही से हुई है। जब उसकी शिकायत करने वो थाने गईं और पुलिस के अधिकारियों से मिली तो उनकी कोई सुनवाई नहीं की गई।

पुलिस का कहना है बेटी मां के पास से लाती थी दवाएं

पद्मनाभपुर थाने की हेड कांस्टेबल पुष्पा तिवारी का कहना है कि केमलता की मां मितानिन है। वो जब भी घर जाती थी, तो बुखार और अन्य बीमारी की दवाएं लेकर आती थी। उन्हीं दवाओं को अधिक मात्रा में खाने से उसकी मौत हुई है। वहीं केमलता की मां गिरजा बाई का कहना है कि जो दवा उसकी बेटी ने खाई है वो सरकारी सप्लाई नहीं होती न ही उसके पास से वो ले गई थी। उसकी बेटी की मौत को दूसरा रूप देने की कोशिश की जा रही है।

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