रायपुर। राजधानी के मुस्लिम समाज ने यह निर्णय लिया है कि मुस्लिम समाज के वैवाहिक कार्यक्रमों एवं दूसरे आयोजनों में होने वाली कुरीतियों एवं बुराईयों को रोकने के लिये मुस्लिम समाज सख्त कदम उठायेगा तथा शादी समारोह, सन्दल चादर में बैण्ड बाजा, डीजे, आतिशबाजी आदि का बहिष्कार किया जाएगा। प्रेस क्लब में आयोजित पत्रकार वार्ता में इसकी जानकारी देते हुए नोमान अकरम हामिद ने बताया कि इस मुद्दे को लेकर वृहत बैठक हुई,
जिसमें शहर की लगभग सभी मस्जिदों के इमाम, मौलाना एवं विभिन्न कमेटियों के पदाधिकारी तथा प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित हुये। बैठक में उपस्थित सभी इमामों ने एक स्वर से यह तय किया कि वे ऐसे किसी भी शादी में निकाह नहीं पढ़ाएंगे जहां बाजा एवं आतिशबाजी का उपयोग किया जाएगा। साथ ही बाहर से आए हुये मौलवी को भी निकाह पढ़ाने नहीं दिया जायेगा।
इस फैसले को उपस्थित सभी प्रबुद्ध नागरिकों ने अपना समर्थन देते हुये एक स्वर में कहा कि अगर इमाम निकाह नहीं पढ़ाएंगे तो हम आम नागरिक भी ऐसी किसी भी शादी में खाने का बहिष्कार करेंगे। इस मौके पर यह निर्णय भी लिया गया कि अगर यह पता चलता है कि किसी के घर में बाजे इत्यादि का प्रयोग हो रहा है तो उसको शहर की कमेटी जाकर समझायेगी तथा ऐसा नहीं करने के लिए निवेदन करेगी।
उल्लेखनीय है कि मुस्लिम समाज में बाजा एवं आतिशबाजी की मनाही है, अतः इसका प्रचलन रोकने हेतु कमेटी हर संभव प्रयास करेगी। यह निर्णय पूरे रायपुर जिले में लागू किया जायेगा तथा प्रयास रहेगा कि पूरे राज्य में इसको लागू किया जाए। इस निर्णय को प्रचारित एवं प्रसारित करने के लिये शहर स्तर एवं मोहल्ला स्तर पर रायपुर शहर की दूसरी मुस्लिम सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं का सहयोग लेकर एक कमेटी बनाई जायेगी, जो ना सिर्फ बाजा, आतिशबाजी बल्कि दूसरी बुरी आदत एवं लत से बचने हेतु शहर के नौजवानों को प्रेरित करेगी।
युवाओं को भी किया जागरूक
इस अवसर पर शहर काजी एवं दूसरे इमामों ने समाज में होने वाली खराबियों को इंगित किया और युवाओं से यह अपील की कि वे गलत राह पर न चले। वे ऐसे काम करें जिससे समाज में किसी प्रकार की अशांति न फैले एवं राज्य एवं देश में अमन एवं शांति का मौहाल बना रहे।
वायु-ध्वनि प्रदूषण से होता है नुकसान
नोमान अकरम ने कहा कि आतिशबाजी एवं बाजा इस्लाम में मना है, साथ ही इसके उपयोग से वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण एवं यातायात व्यवस्था में खराबी आती है, जो हमारी रोजमर्रा जिन्दगी में भी बहुत नुकसानदायक है। अतः इन चीजों का उपयोग न सिर्फ धार्मिक अपितु सामाजिक रूप से भी निंदनीय है। मुस्लिम सामाज की इस पहल का शहर के अन्य धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं ने स्वागत किया है एवं सामाजिक चेतना को जागृत करने वाली संस्था छग नागरिक संघर्ष समिति ने बधाई दी है एवं हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया है।
मुस्लिम समाज की 17 जनवरी को इस मुद्दे को लेकर हुई बैठक में उपस्थित विभिन्न मस्जिदों के इमाम एवं मौलाना, छत्तीसगढ़ उल्मा तंजीम के पदाधिकारीगण एवं मुस्लिम सामाज के सक्रिय एवं प्रबुद्ध नागरिकों ने सामाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करने के लिये सार्थक एवं सशक्त प्रयास करने का जिम्मा उठाया है।
बता दें कि कुछ दिनों पूर्व ही कोरबा जिले में भी इसी तरह तंजीमुल उलेमाओं की बैठक लेकर यह घोषणा की गई कि शादी और अन्य समारोहों में ढोल, डीजे, पटाखे, नाच-गाने सहित अन्य कुरीतियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस तरह के आयोजनों में उलेमा और इमाम निकाह नहीं पढ़ाएंगे और न ही बाहर के किसी उलेमा को निकाह पढ़ने की इजाजत होगी।