
दुर्ग। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस हमले को न सिर्फ मानवता पर हमला बताया बल्कि 2013 के झीरम घाटी नक्सली हमले से भी जोड़ते हुए केंद्र सरकार पर सुरक्षा चूक के गंभीर आरोप लगाए।
“धर्म पूछ-पूछकर मारा गया, सुरक्षा नदारद थी” – बघेल

भिलाई के एक निजी होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूपेश बघेल ने कहा कि पहलगाम की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है। 27 परिवार उजड़ गए हैं, जो लोग छुट्टियां मनाने गए थे, वे अब अपनों को खोकर लौटे हैं। उन्होंने कहा, “हमने झीरम घाटी में अपनों को खोया था, वहां भी सुरक्षा नहीं थी, यहां भी नहीं थी।”
झीरम और पहलगाम – दोनों जगह नाम पूछ-पूछकर की गई हत्या
पूर्व सीएम बघेल ने बताया कि झीरम घाटी में भी लोगों से नाम पूछकर मारा गया था और पहलगाम में भी ऐसा ही हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि वहां न तो पुलिस बल और न ही अर्धसैनिक बल समय पर पहुंचे। उन्होंने कहा, “इंटेलिजेंस फेलियर का जिम्मेदार कौन है? ये सवाल देश पूछ रहा है।”
‘संविधान बचाओ रैली’ का किया समर्थन, BJP पर निशाना
बघेल ने आगे कहा कि आज देश में लोकतंत्र और संविधान पर हमला हो रहा है। कांग्रेस की ओर से ‘संविधान बचाओ रैली’ इसी उद्देश्य से निकाली जा रही है। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, महंगाई चरम पर है और सार्वजनिक संपत्तियों को बेचा जा रहा है।”
नेशनल हेराल्ड और छापों को बताया राजनीतिक प्रतिशोध
भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं को फंसाने के लिए केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने नेशनल हेराल्ड पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि वह संस्था स्वतंत्रता संग्राम की विरासत है।
क्या है झीरम घाटी हत्याकांड?
2013 में छत्तीसगढ़ के झीरम घाटी में नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे। इसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, विद्या चरण शुक्ल सहित 30 से अधिक लोग शहीद हुए थे। यह भारत के राजनीतिक इतिहास का सबसे बड़ा नरसंहार माना जाता है।
