Tutankhamun’s trumpet – A cursed battle horn: प्राचीन मिस्र के राजा तुतनखामुन (Tutankhamun) की तुरही (trumpet) को शापित माना जाता है. 3000 हजार सालों से अधिक सालों में पहली बार जब इसे बजाया गया, वो एक दिल को दहला देने वाला क्षण था. माना जाता है कि 84 साल पहले 15 करोड़ श्रोताओं के लिए इंटरनेशनल लेवल ब्रॉडकास्ट की गई, इसकी भयावह ध्वनि ने सेकंड वर्ल्ड वॉर (Second World War) को जन्म दिया था.

कब बजाई गई ये तुरही?: द सन की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में विनाशकारी संघर्ष (Devastating Global Conflict) शुरू होने से लगभग साढ़े चार महीने पहले 16 अप्रैल 1939 को बीबीसी ने इस तुरही की पहले से रिकॉर्ड ध्वनि को प्रसारित किया था. इसके बाद इतिहास के सबसे घातक सैन्य संघर्ष में 6 सालों की लड़ाई में अनुमानित रूप से कुल 7 से 8.5 करोड़ लोग मारे गए थे.

तुरही में युद्ध को बुलाई की जादुई शक्ति

परिणास्वरूप, इस तुरही को लेकर एक किंवदंती बन गई कि तूतनखामुन की तुरही में युद्ध बुलाने की जादुई शक्ति है. तुरही प्रिंस अल्बर्ट (Prince Albert) की अपनी 11वीं रॉयल हसर्स रेजिमेंट (11th Royal Hussars regiment) के बैंडमैन जेम्स टापरन द्वारा बजाई गई थी.

https://youtu.be/H3-aiOFImSs

उस समय रेक्स कीटिंग (Rex Keating) रेडियो के एक प्रसिद्ध शख्स हुआ करते थे. उनके इसके प्रसारण करने से 5 मिनट पहले ही काहिरा (Cairo) में बिजली चली गई और उन्हें मोमबत्ती की रोशनी में अपनी स्क्रिप्ट पढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. शायद यह एक प्रारंभिक चेतावनी का संकेत था, फिर भी रेक्स आगे बढ़े और उन्होंने प्रसारण को जारी रखा.

तुरही से निकली भयानक आवाजें

तीन मिनट की रिकॉर्डिंग में, दोनों तुरही में से भयानक आवाजें निकालती हैं. रेक्स कीटिंग ने बताया किया कि उनमें से किसी भी वाद्ययंत्र (Instruments) को बजाना आसान नहीं था, ‘विशेषकर’ कांस्य के वाद्ययंत्र को बजाना आसान नहीं था.’

कब और किसने खोजी ये तुरही 

आर्कियोलॉजिस्ट हॉवर्ड कार्टर (Archaeologist Howard Carter) को 1922 में मिस्र में तूतनखामुन के मकबरे में खोजे गए प्राचीन उपकरणों के साथ ये तुरही मिली थीं, जिनको दुनिया की सबसे पुरानी चलती हुई (Operational) तुरही के रूप में जाना जाता है, जिनमें से एक कांस्य (Bronze) से जबकि दूसरी चांदी से बनी हुई है. इनमें लकड़ी का कोर है, लेकिन दोनों पर रा-होराख्ती (Ra-Horakhty), पट्टा (Ptah) और अमुन (Amun) देवताओं की सजावटी आकृतियां उकेरी गई हैं.

जो लगभग 58 सेमी (22.83 इंच) लंबाई और 4 सेमी (1.57 इंच) चौड़ी हैं. ऐसा माना जाता है कि इनका उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए किया गया था. एक्सपर्ट्स ने निष्कर्ष निकाला कि यह संभव है कि राजा तूतनखामुन ने संभवतः अपनी सेनाओं के साथ संचार करने के लिए उनका उपयोग किया होगा, इसलिए उन्होंने उपकरणों को युद्ध से जोड़ा होगा. इसलिए, जब 1939 में जेम्स टापरन ने 3,000 से अधिक सालों में पहली बार तुरही बजाई और कुछ ही समय बाद सेकंड वर्ल्ड वॉर हुआ था.

खोजकर्ताओं की हुई रहस्मय मौतें

यह भी माना जाता था कि 1922 में तूतनखामुन की कब्र की खोज के बाद श्राप हटा लिया गया था. अगले सालों में हॉवर्ड कार्टर की टीम के कई सदस्यों की रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हो गई. कार्टर ने गुस्से में पूरे अभिशाप के विचार को ही खारिज कर दिया, लेकिन 1939 में ट्रम्पेट बजाए जाने से एक महीने पहले उनकी मृत्यु के बाद इनसे जुड़ी ममी के अभिशाप की कहानी फिर जीवंत हो गई और आज तक कायम है.

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