बिहार के उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के अलावा एक और उपमुख्यमंत्री बनाने की चर्चा तेज है. बिहार के राजनीतिक गलियारे में दो साल पहले नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का विलय करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री कुशवाहा को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा है. हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इन अटकलों को सिरे से खारिज करते हुए.
बिहार में एक और उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना से इनकार कर दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी समाधान यात्रा के दौरान उन सभी कयासों पर विराम लगा दिया, जिनमें ये संभावना जताई जा रही थी कि सूबे में एक और उपमुख्यमंत्री के लिए उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) के एक नेता के नाम पर विचार किया जा रहा है.
बिना नाम लिए नीतीश कुमार ने कह दी बात
जेडीयू के संसदीय बोर्ड के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, ‘मैं एक और उपमुख्यमंत्री होने की बात सुनकर चकित हूं. यह बकवास है. मुझे दबाव (भाजपा के) के कारण एक से अधिक उपमुख्यमंत्री (बिहार की पिछली राजग सरकार में) रखने के लिए मजबूर किया गया था. मुझे यह दोहराने की जरूरत नहीं है कि मैं तब मुख्यमंत्री भी नहीं बनना चाहता था.’
2020 बिहार विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी को उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिया गया था और तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को बिहार का उपमुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि, नीतीश कुमार ने ये जरूर कहा कि मंत्रीमंडल में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस पार्टी के कुछ चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा, ‘राज्य में सात दलों का गठबंधन हैं और प्रत्येक घटक का एक निश्चित हिस्सा है. जिन दलों के मंत्रियों ने पद छोड़े हैं उन्हें उसी अनुसार समायोजित किया जा सकता है. कांग्रेस से कुछ और मंत्री हो सकते हैं.’
तेजस्वी को आगे बढ़ाना चाहता हूं- नीतीश कुमार
2022 के अगस्त महीने में महागठबंधन की सरकार का गठन हुआ था, जिसके ठीक बाद राजद कोटे से मंत्री सुधाकर सिंह और कार्तिक कुमार ने इस्तीफा दे दिया था. इसके अलावा कांग्रेस के कोटे से भी दो ही विधायकों को मंत्री बनाया गया था. जिसके बाद से कांग्रेस बिहार विधानसभा में अपनी संख्या के मुताबिक प्रतिनिधित्व की मांग करती रही है.
बता दें कि बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में कांग्रेस के 19 विधायक हैं. वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के 79 विधायक हैं, जो कि सबसे बड़ी पार्टी है. जबकि नीतीश की पार्टी जेडीयू के 45 विधायक हैं. नीतीश कुमार ये बताने का कोई मौका नहीं छोड़ते कि वो विरोधी से सहयोगी बने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना चाहते हैं.