अकुत्तों को ऐसा जानवर माना जाता है जिसे इंसान अपने दोस्त बना सकता है. उनके बर्ताव पर कई तरह के अध्ययन होते रहे हैं. एक नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने उनके बारे में अनोखा दावा किया है. उन्होंने पाया है कि वे ना केवल कुछ नामों को पहचान सकते हैं बल्कि कई शब्दों के मतलब भी समझ सकते है. यह साबित करना आसान नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में कुछ कुत्तों के दिमाग की गतिविधि की रिकॉर्डिंग के आधार पर ये नतीजे निकाले हैं.
हंगरी के बुडापेस्ट की इयोटवोस लॉरैंड यूनिवर्सिटी की मारियाना बोरोस की अगुआई में हुए इस अध्ययन में अलग-अलग प्रजातियों के 19 कुत्तों पर प्रयोग किए गए जिनमें बॉर्डर कुली, टॉय पूडल्स और लैबराडोर रिट्राइवर्स जैसी प्रजातियां शामिल थीं. प्रयोग के बाद साबित हुआ कि कुत्ते बैठो, पकड़ो जैसे छोटे आदेश से कहीं ज्यादा समझ सकते हैं.
इस प्रयोग में कुत्तों के मालिकों ने अपने पालतू जानवरों की पहचान की पांच चीजों का चयन किया. इसके बाद उन्हें किसी एक चीज का नाम पुकारने के बाद या दो उसी चीज को सामने रखना था या किसी और और चीज को. इलेक्ट्रोएनसेफैलोग्राफी (ईईजी) के जरिए शोधकर्ताओं ने हर कुत्ते की दिमागी तरंगों पर निगरानी रखी.
इस प्रयोग का मकसद यह जानना था कि कुत्तों का दिमाग कैसे प्रतिक्रिया करता है जब वे किसी और चीज का नाम पुकारते हैं और सामने कुछ और रख देते हैं. इसके अलावा उन्होंने यह भी देखा कि पुकारने के बाद वहीं चीज रखने पर भी दिमाग की कैसे प्रतिक्रिया होती है?
बोरोस कहती हैं कि मकसद यह जानना था कि क्या कुत्ते शब्दों के अर्थ को समझते हैं. अगर ऐसा है तो उनके दिमाग की प्रतिक्रिया चीजों और उनके नाम से मेल खाने और मेल ना खाने पर अलग अलग होनी चाहिए. जहां नाम और चीज मेल ना खेने पर अलग तरह के संकेत मिले, वहीं शब्द और चीजों के मेल खाने पर अलग ही तरह के संकेत मिले.
साफ है कि इंसान के अलावा दूसरे जानवर भी शब्दों के मतलब को समझ सकते हैं और कुत्तों में यह काबिलियत होती है. अध्ययन में यह भी पता चला कि कुत्ते जो दर्शाते हैं उससे कहीं ज्यादा समझ सकते हैं. इतनी ही नहीं नतीजे काफी कुछ वैसे ही थे जैसे कि इंसानों के मामले में दिखते हैं. यानि कुत्तों में भी किसी चीज को वस्तु से जोड़ने की दिमागी प्रक्रिया होती हैं.