कांग्रेस को हिंदी पट्टी के तीन राज्यों में करारी हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस ने जहां अपने दो राज्यों को गवां दिया। वहीं मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी को भी नहीं भुना पाई। इन हार का असर अब कांग्रेस समर्थित इंडिया गठबंधन पर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन चुनावों में काफी जोरदार प्रचार किया है। वे लगातार दावा कर रहे थे कि, वह छत्तीसगढ़ औऱ मध्य प्रदेश में सरकार बनाने जा रहे हैं। लेकिन परिणाम इसे उलट देखने को मिले हैं। जिसका असर राहुल गांधी की छवि पर एक बार फिर से होने वाला है।

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के बाद अपनी इमेज में काफी सुधार किया था। वह लगातार अपनी स्थिति को मजूबत कर रहे हैं। यहीं नहीं इंडिया गठबंधन के अंदर उन्हें सबसे बड़ा चेहरा भी माना जा रहा था। लेकिन अब इन परिणामों के चलते, वह बैकफुट पर आते दिख रहे हैं। इस चुनाव परिणामों का असर अब इंडिया गठबंधन में काग्रेस के कद पर भी पड़ने वाला है।

राहुल गांधी को अपने ही सहयोगी दलों जेडीयू, आप, एनसीपी, टीएमसी और समाजवादी पार्टी से लड़ना होगा। कांग्रेस ने 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन का बैठक बुलाई है। बैठक में अब नए सियासी समीकरण देखने को मिल सकते हैं। कांग्रेस को ना सिर्फ सीट शेयरिंग में झुकना पड़ सकता है, बल्कि अहम पदों के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है। यही नहीं अब तक राहुल गांधी अधिकतर निर्यण ले रहे थे, इन नतीजों के बाद उन्हें अन्य दलों से विरोध का सामना भी करना पड़ सकता है।

नीतीश कुमार: इंडिया गठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं। वह इस एलायंस को बनाने के लिए कई नेताओं से मिले थे। लेकिन चुनावों के दौरान वह कांग्रेस पर निशाना भी साधते नजर आए। नीतीश कुमार ने कहा था कि, राहुल गांधी की पार्टी को अभी पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों से फुर्सत नहीं है। ऐसे में गठबंधन पर बात नहीं हो पा रही है। विधानसभा चुनावों के बाद में इस पर बात करेंगे। अब जब कांग्रेस तीन राज्यों में हार गई है तो नीतीश कुमार कांग्रेस पर हावी हो सकते हैं।

अखिलेश यादव: विधानसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन में सबसे अधिक उठापटक करने वाली पार्टी समाजावादी पार्टी थी। जो मध्य प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ जमकर बयानबाजी करती नजर आई थी। सीट शेयरिंग में बात ना बन पाने के कारण अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेताओं पर जमकर निशाना साधा था, यहां तक सपा नेताओं ने राहुल गांधी और कांग्रेस के खिलाफ अभद्र ट्वीट तक कर दिए थे। अब अखिलेश यूपी में खुद से सबसे बड़े स्टेकहोल्डर के तौर पर रखेंगे।

अरविंद केजरीवाल: इंडिया गठबंधन में आम आदमी पार्टी एक मात्र ऐसी पार्टी है तो तीन राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ लड़ी। उनसे तीन राज्यों में 205 प्रत्याशी उतारे, राजस्थान में 86, मध्य प्रदेश में 66 और छत्तीसगढ़ में 54 प्रत्याशी मैदान में उतारे। हालांकि उन्हें किसी भी राज्य में .50 फीसदी से भी कम वोट मिले और सभी सीटों पर हार हुई। रैलियों में केजरीवाल और अन्य नेता कांग्रेस के खिलाफ बयान देते भी नजर आए। चुनाव नतीजों के बाद अब राहुल गांधी पर केजरीवाल हावी हो सकते है। वह राज्यों में लोकसभा की अधिक सीटों की मांग रख सकते हैं।

ममता बनर्जी: इंडिया गठबंधन की सबसे अहम नेता ममता बनर्जी को माना जाता है। ममता पीएम मोदी औऱ बीजेपी के खिलाफ हर मोर्चे पर टक्कर लेती नजर आई हैं। तीन राज्यों में मिली हार के चलते ममता को अब गठबंधन में खुद को आगे रखने और पीएम पद की दावेदारी पेश करने का मौका मिल गया है। जो ना सिर्फ राहुल गांधी के छवि के लिए एक धक्का है, बल्कि कांग्रेस को कमजोर दिखा सकता है।

शरद पवार: इंडिया गंठबंधन के अंदर शरद पवार सबसे सीनियर नेता है। यहीं नहीं महाराष्ट्र में महाअघाड़ी में सहयोगी भी हैं, लेकिन उनके अडाणी के साथ अच्छे संबंध कांग्रेस और राहुल गांधी के लंबे समय से असहज करते रहे हैं। राहुल गांधी पिछले कई सालों से लगातार अडाणी के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं। ऐसे में अब इन परिणामों के चलते एनसीपी चीफ राहुल और कांग्रेस पर रणनीति बदलने का दवाब भी डाल सकते हैं।

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