
दुनिया में बहुत सी अलग-अलग जगहें हैं और उनका अपनी-अपनी खासियत है. कुछ जगहें इसलिए मशहूर हैं क्योंकि वो बहुत खूबसूरत हैं और कुछ जगहें इसलिए जानी जाती हैं क्योंकि वहां का इतिहास काफी रोचक होता है. आज एक ऐसी जगह के बारे में आपको हम बताएंगे, जहां का इतिहास इतना डरावना है कि सामान्य आदमी का दिमाग हिल सकता है.
18वीं से 19वीं सदी के बीच इस द्वीप में कुछ ऐसा हुआ, जिसके सबूत आज भी यहां जगह-जगह पर बिखरे हुए हैं. इनकी तस्वीरें किसी की भी रातों की नींदें उड़ाने के लिए काफी हैं. जिस तरह पत्थर बिखरे रहते हैं, वैसे यहां इंसानों की हड्डियां और दांत बिखरे हैं. यही वजह है कि इसे डेडमैंस आइलैंड यानि मुर्दों का द्वीप कहा जाता है.

कंकालों का द्वीप बन गई है जगह
मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 200 सालों में इस जगह पर कोई भी नहीं गया है क्योंकि यहां कंकालों, हड्डियों और इंसानी अवशेषों के अलावा कुछ भी नहीं है. लंदन से 40 मील की दूरी पर मौजूद इस भुतहे द्वीप में कैदियों को दफनाया जाता था. यहां पर 200 सालों तक कैदियों के जहाज़ आते थे और उन्हें यहीं मरने के लिए छोड़ दिया जाता था. उनके शरीर धीरे-धीरे यहीं खत्म हुए, जिनकी हड्डियां और दांत बिखरे मिलते हैं. जो ताबूत आए, वे कई जगह खुले ही पड़े हैं.
तस्वीरें सोने तक नहीं देंगी
साल 2017 में बीबीसी ने स्पेशल परमिशन के तहत यहां एंट्री थी. उसकी प्रेज़ेंटर नताली ग्राहम ने इस द्वीप को देखते ही कहा था ये बेहद अजीब है और उसे कल्पना भी नहीं थी कि धरती पर ऐसा नज़ारा भी कहीं दिख सकता है. अब वो ये तस्वीर भूल नहीं पाएंगी.
वहीं उनके साथ ने कहा कि ये किसी हॉरर फिल्म से कम नहीं था, जहां हड्डियां और ताबूत ही थे. इसके बारे में कई कहानियां हैं. कुछ लोग कहते हैं कि यहां सिर्फ मुर्दों का राज चलता है या फिर यहां दानवों ने आकर लोगों को खा लिया और उनका दिमाग ले लिया.
हालांकि इतिहास यही कहता है कि यहां 200 साल तक कैदी रखे गए, तैरती हुई जहाज़ों में उन्हें रखा जाता था. इनमें पॉकेटमार बच्चे तक शामिल थे, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया ले जाया जाता था. जो बीमार हुए वे जहाज़ के डेक में ही मर जाते थे. उन्हें यही मुर्दों के आइलैंड में दफना दिया जाता था.
