रायपुर। बस्तर की जीवनदायिनी मानी जाने वाली इंद्रावती नदी आज सूखने की कगार पर है, जिससे हजारों किसानों की फसलें बर्बाद हो गई हैं और पीने के पानी का गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है। इसी संकट के खिलाफ कांग्रेस ने 3 दिवसीय “जल-जंगल-जमीन बचाओ, इंद्रावती नदी बचाओ” पदयात्रा की योजना बनाई थी, जो आज चित्रकोट से जगदलपुर तक आयोजित की जानी थी। लेकिन जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 28 नागरिकों की मौत के बाद AICC ने 27 अप्रैल तक सभी राजनीतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं।

कांग्रेस का बड़ा ऐलान: इंद्रावती बचाने के लिए लड़ेगी निर्णायक लड़ाई

कांग्रेस का कहना है कि यह आंदोलन स्थगित जरूर हुआ है, लेकिन बंद नहीं। आने वाले समय में इंद्रावती नदी को बचाने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की जाएगी और पार्टी पूरी ताकत से किसानों के साथ खड़ी होगी। पदयात्रा के तीसरे दिन जगदलपुर कलेक्टर कार्यालय का घेराव भी तय था।

बस्तर की इंद्रावती नदी पर मंडरा रहा जल संकट

इंद्रावती नदी बस्तर की सांस्कृतिक और कृषि अर्थव्यवस्था की धुरी रही है, लेकिन आज यह नदी मौत की कगार पर है। दो महीने से किसान सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, धरना दे रहे हैं, लेकिन पानी की एक बूँद के लिए तरस रहे हैं।

जोरा नाला डायवर्जन बना संकट की वजह

पिछले महीने इंद्रावती नदी लगभग पूरी तरह सूख गई थी। जोरा नाला की ओर नदी का जल मोड़ना इसका प्रमुख कारण बताया जा रहा है। इससे कई गांवों में किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं और पीने के पानी की भारी किल्लत हो गई।

राज्य और केंद्र सरकार के प्रयासों से मिली राहत की उम्मीद

इस गंभीर स्थिति पर संज्ञान लेते हुए बस्तर सांसद महेश कश्यप ने 3 अप्रैल को संसद में इस मुद्दे को उठाया। इसके बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में हुई बैठक में ओडिशा सरकार ने 15 अप्रैल को छत्तीसगढ़ को 49% जल आपूर्ति देने पर सहमति दे दी है।

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