नई दिल्ली. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बीते 1 फरवरी को पेश बजट में अमीरों के निवेश पर कैंची चलाई है. अब रियल एस्टेट सेक्टर में पूंजीगत लाभ सिर्फ 10 करोड़ रुपये तक के निवेश पर ही उठाया जा सकता है. इससे प्रॉपर्टी में निवेश कर पूंजीगत लाभ कर (Capital Gain Tax) अब सीमित हो गया है. इसके लिए वित्तमंत्री ने इनकम टैक्स की धारा 54 और 54F में बदलाव किया है.
टैक्स मामलों के जानकार बलवंत जैन बताते हैं कि इसका मतलब ये हुआ कि अगर कोई कैपिटल गेन वाली संपत्तियों में निवेश करता है और उससे हुए मुनाफे से कोई संपत्ति खरीदता है तो उस मुनाफे पर टैक्स छूट की सीमा सिर्फ 10 करोड़ रुपये तक रहेगी. इससे ज्यादा के मुनाफे को अगर संपत्ति में निवेश भी किया जाता है तो उस पर कैपिटल गेन टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा. कैपिटल गेन ऐसे निवेश से मिला मुनाफा होता है, जो संपत्तियों में किया जाता है. इसमें म्यूचुअल फंड, शेयर, प्रॉपर्टी, जमीन, सोने-चांदी और ट्रेडमार्क जैसी संपत्तियां शामिल होती हैं.
पहले क्या था नियम
बजट में कैपिटल गेन को लेकर हुए नए प्रावधान से पहले इस तरह के कितने भी मुनाफे को आप प्रॉपर्टी में निवेश करके उस पर कैपिटल गेन टैक्स बचा सकते थे, लेकिन नया नियम सिर्फ 10 करोड़ तक के मुनाफे पर ही टैक्स लाभ देता है. सीधे शब्दों में कहें तो मान लीजिए आपने 10 साल पहले कोई प्रॉपर्टी 15 करोड़ की खरीदी और उसे अब 30 करोड़ में बेच दिया तो आपको 15 करोड़ का हुआ मुनाफा कैपिटल गेन कहलाएगा. पहले आप इस पूरे मुनाफे से नई प्रॉपर्टी खरीदकर टैक्स बचा सकते थे, लेकिन अब सिर्फ 10 करोड़ तक का मुनाफा ही कैपिटल गेन टैक्स बचाने के लिए निवेश कर सकेंगे, जबकि शेष 5 करोड़ पर आपको टैक्स चुकाना होगा.
सबसे ज्यादा होता है संपत्तियों में निवेश
बाजार जानकारों का कहना है कि कैपिटल गेन के रूप में हुए मुनाफे का सबसे ज्यादा निवेश नई प्रॉपर्टी खरीदने और सरकारी प्रतिभूतियों में किया जाता है. यानी अब न सिर्फ संपत्ति बल्कि सिक्योरिटीज में भी निवेश करने पर आपको सिर्फ 10 करोड़ तक के कैपिटल गेन पर ही टैक्स छूट का लाभ दिया जाएगा.
किस पर होगा असर
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट कंपनी एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी का कहना है कि वैसे तो इसका असर सिर्फ 10 फीसदी कैपिटल गेन कमाने वाले निवेशकों पर ही पड़ेगा. दूसरा ये कि टैक्स के नए प्रावधानों से सिर्फ हाई नेटवर्थ वाले निवेशकों पर असर दिखेगा. इसका मैक्रो मार्केट पर ज्यादा असर नहीं होगा. इसके अलावा नए टैक्स प्रावधानों से प्राइमरी लग्जरी मार्केट पर असर नहीं होगा, बल्कि सिर्फ रीसेल मार्केट पर ही दिखाई देगा.