
सुकमा (छत्तीसगढ़): केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का जो संकल्प लिया है, उसमें अब बड़ी कामयाबी मिल रही है। सुकमा जिले का बड़ेसट्टी गांव अब पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो गया है। शुक्रवार को इस गांव के अंतिम 11 सक्रिय नक्सलियों ने हथियार डाल दिए।
बीजापुर और सुकमा में 33 नक्सलियों ने किया सरेंडर

आधुनिक हथियारों और विस्फोटकों के साथ पकड़े गए कई नक्सली
गृह मंत्री अमित शाह ने ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी देते हुए बताया कि बीजापुर में ऑपरेशन के दौरान 22 नक्सलियों को कोबरा कमांडो और पुलिस बल ने पकड़ा, वहीं सुकमा में 33 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। उन्होंने सभी नक्सलियों से मोदी सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाने की अपील की।
सरेंडर करने वालों को मिलेगा डबल इनाम और घर
नई ग्रुप सरेंडर पॉलिसी लागू, पंचायतों को मिलेगा विकास का तोहफा
सरकार ने नई “ग्रुप सरेंडर पॉलिसी” के तहत घोषणा की है कि अगर किसी संगठन के 80% से ज्यादा सदस्य एक साथ सरेंडर करते हैं, तो उन पर घोषित इनाम की राशि दोगुनी कर दी जाएगी। साथ ही आत्मसमर्पण करने वाले हर नक्सली को 10,000 रुपए की तत्काल सहायता और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिया जाएगा।
नक्सल मुक्त पंचायतों को मिलेगा ₹1 करोड़ का विकास फंड
ग्रामीण विकास को मिलेगा बढ़ावा, हर गांव को जोड़ा जाएगा मुख्यधारा से
गृह मंत्री विजय शर्मा ने बताया कि जिन पंचायतों को नक्सल मुक्त घोषित किया जाएगा, वहां सरकार 1 करोड़ रुपए की विकास योजना स्वीकृत करेगी। यह राशि स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, सड़क, बिजली और पानी की सुविधाओं पर खर्च होगी।
120 दिन में बदल जाएगी नक्सलियों की जिंदगी
मानवता की ओर वापसी के लिए पुनर्वास और प्रशिक्षण की व्यवस्था
नए आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति 2025 के तहत, सरेंडर करने वाले नक्सलियों को 120 दिनों के भीतर ट्रांजिट कैंप में रखकर हुनर और शिक्षा दी जाएगी। इसके बाद उन्हें रोजगार से जोड़ने के लिए सहायता मिलेगी।
सरकार उन्हें 3 साल तक हर महीने ₹10,000 मानदेय देगी। साथ ही, उन्हें शहरी क्षेत्रों में प्लॉट या ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि भी उपलब्ध कराई जाएगी।
शहीदों को मिलेगा सम्मान, वीर बलिदान योजना का क्रियान्वयन
परिवारों की समस्याओं का होगा समाधान, हर महीने होगी सुनवाई
सरकार ने “वीर बलिदान योजना” के तहत शहीद जवानों की मूर्तियां लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही, शहीद परिवारों की समस्याओं की सुनवाई हर दूसरे बुधवार को IG रेंज कार्यालय में की जाएगी।
