मुख्यमंत्री ने ‘डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क‘ और टास्क फोर्स के प्रतिवेदनों का किया विमोचन
भिलाई [न्यूज़ टी 20] रायपुर / मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सतत् विकास लक्ष्य (SDG) के जिला स्तर तक स्थानीयकरण (Localization) एवं सतत् प्रभावी मॉनिटरिंग की सुनिश्चितता हेतु छत्तीसगढ़ राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किये गये।
’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (DIF)’’ और टास्क फोर्स के प्रतिवेदनों का विमोचन आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में किया।
मुख्यमंत्री ने ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क‘‘ तैयार करने के लिए राज्य योजना आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की सराहना की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ सतत विकास लक्ष्य (एस.डी.जी.) लक्ष्य की समयबद्ध प्राप्ति हेतु प्रतिबद्ध है।
’’जनघोषणा पत्र’’ के उद्देश्यों में भी एस.डी.जी. लक्ष्य के अनुरूप ’अंत्योदय’ का संकल्प सम्मिलित है। एस.डी.जी. के सिद्धांत के अनुरूप ही सरकार अपनी योजनाओं को इस प्रकार क्रियान्वित कर रही है, जिससे विकास के लाभ अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक प्रभावी रूप से पहुंच सके।
एस.डी.जी. के क्रियान्वयन के लिये राज्य सरकार के विभागों द्वारा अनवरत प्रयास अपेक्षित है। इस व्यापक अभियान में सभी की भागदारी सुनिश्चित करने के प्रयोजन से राज्य योजना आयोग ने सिविल सोसायटी,
बिजनेस आर्गेनाजेशन, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, विषय विशेषज्ञों एवं युवाओं की कार्यशालायें आदि आयोजित कर संबंधितों को अभियान के प्रति जागरुक करने एवं इससे जोड़ने हेतु अनवरत कई प्रयास किये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कई जन कल्याणकारी योजनाओं यथा मध्यान्ह भोजन, मुख्यमंत्री खाद्य सुरक्षा योजना, युनिवर्सल सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना, मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना, महतारी जतन योजना, राजीव गंाधी किसान न्याय योजना, सुराजी गांव योजना, गोधन न्याय योजना जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से राज्य सरकार एस.डी.जी. के उद्येश्यों को पूरा करने का प्रयास कर रही है।
राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किया गया ’’छत्तीसगढ़ एसडीजी डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (सीजी-डीआईएफ)’’, एक ऐसा प्रभावी प्रगति मापक फ्रेमवर्क है जो न केवल एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में पथ प्रदर्शक का कार्य करेगा ।
अपितु समस्त जिलों के कलेक्टरों को प्रगति में बाधक चिन्हित क्षेत्रों की पहचान कर साक्ष्य आधारित निर्णय लेने में भी मदद करेगा।
इस फ्रेमवर्क के उपयोग से प्रत्येक जिला अपनी स्थानीय क्रियान्वयन प्रतिबद्धता की पहचान कर अपने हितधारकों के बहुमुखी विकास सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका का निर्वहन करेंगे।
इसी प्रकार विभिन्न विभागों हेतु उपयोगी अनुशंसाओं को ’’टॉस्क फोर्स रिपोर्ट’’ के रूप में जारी किये जाने से नवीन गतिविधियों का चयन तथा अपेक्षित क्रियान्वयन सुनिश्चित हो सकेगा।
राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह ने जानकारी दी कि संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) द्वारा सतत् विकास को सुनिश्चित करने 17 लक्ष्य निर्धारित किये गये है।SDGके उद्देश्यों की पूर्ति हेतु देश तथा राज्य प्रतिबद्ध हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य योजना आयोग द्वारा तैयार किये गये डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (DIF) के आधार पर जिला कलेक्टर व विभाग विभिन्न सतत् विकास लक्ष्यों की प्रगति का मूल्यांकन, अनुश्रवण एवं अनुशीलन कर सकेंगे।
राज्य शासन द्वारा जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में ’’जिला स्तरीय ैक्ळ क्रियान्वयन एवं निगरानी समिति’’ गठित की गई है। उक्त समिति में संयोजक, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत एवं सह-संयोजक, जिला योजना एवं सांख्यिकी अधिकारी है।
’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (DIF)’’ में सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय एवं अन्य पहलुओं संबधी कुल 82 इंडिकेटर का समावेश किया गया है।
इसी प्रकार राज्य योजना आयोग द्वारा राज्य के संतुलित विकास के लिए चयनित विषयों पर कार्यदलों व कार्यसमूहों का गठन कर राज्य हेतु अत्यंत उपयोगी अनुशंसाओं का संकलन विभागों के उपयोग हेतु किया गया है।
कृषि, जल संवर्धन, खाद्य व लघु वनोपज प्रसंस्करण एवं संबद्ध क्षेत्रों का विकास, उच्च व तकनीकी शिक्षा, वित्त, आदिवासी विकास, ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण व खाद्य सुरक्षा, उद्योग, कौशल विकास तथा रोजगार,
सामाजिक सुरक्षा, कला एवं संस्कृति संवर्धन, पर्यटन एवं ग्रामोद्योग के क्षेत्रों में सुझाव देने विशेषज्ञों, विभागों के प्रतिनिधियों के साथ गहन विचार मंथन कर उक्त अनुशंसाएं दी गई हैं।
संबंधित विभाग इन अनुशंसाओं के परीक्षण उपरांत लागू किये जाने की संभावना का आंकलन कर क्रियान्वयन का कार्य सुनिश्चित करेंगे, जिससे कि सभी सेक्टर में अपेक्षा अनुसार प्रभावी प्रतिफल प्राप्त हो सकेंगे।
मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ एसडीजी डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (सीजी-डीआईएफ) जिला स्तर पर समस्त हितधारकों को एसडीजी लक्ष्यों का स्थानीयकरण कर अपने लक्ष्य प्राप्ति में मदद करेगा।
यह एसडीजी की योजना बनाने से लेकर निगरानी और कार्यान्वयन तक जिला प्रशासन एवं समस्त विभागों को फ्रेमवर्क भी प्रदान करेगा। सभी विभाग एवं जिला अधिकारी इस फ्रेमवर्क के आधार पर प्रगति की नियमित समीक्षा करेंगे ।
सतत् विकास लक्ष्यों अनुसार प्रगति प्राप्ति सुनिश्चित करेंगे। टॉस्क फोर्स द्वारा दी गई सलाह एवं अनुशंसाएॅ संबंधित विभागो हेतु काफी उपयोगी होंगी।
मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने कहा कि राज्य सरकार के विकास एजेंडा प्रमुखतः एसडीजी के साथ परस्पर जुडे़ हुए हैं। एसडीजी फ्रेमवर्क लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में संबंधित विभागों को उचित निर्णय के लिए आंकड़े आधारित साक्ष्य प्रदान करती है।
यह फ्रेमवर्क समस्त कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ एवं विभाग प्रमुख को विकास की बाधाओं की पहचान कर समाधान चिन्हित और साझा करने एवं आंकड़े आधारित साक्ष्य के आधार उनकी रणनीतियों को लागू करने में पथ प्रदर्शक की भूमिका का निर्वहन करेगा।
इसी प्रकार राज्य योजना आयोग द्वारा विभिन्न सेक्टरों हेतु गठित टॉस्क फोर्स ने कई उपयोगी अनुशंसाएं दी हैं जो कि काफी उपयोगी है।
राज्य योजना आयोग के सचिव अनूप कुमार श्रीवास्तव द्वारा ’’डिस्ट्रिक्ट इंडिकेटर फ्रेमवर्क (DIF)’’ पर जिलों से अपेक्षित कार्यवाही के संबंध में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया। साथ ही विभिन्न टॉस्क फोर्स द्वारा प्रदाय प्रतिवेदन के संबंध में जानकारी साझा की।
बैठक में राज्य योजना आयोग के सदस्य डॉ. के. सुब्रमणियम, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, प्रमुख सचिव, योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी गौरव द्विवेदी, प्रमुख सचिव, राज्य योजना आयोग के संयुक्त संचालक, राज्य योजना आयोग डॉ. नीतू गौरडिया उपस्थित थे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यूनिसेफ के प्रतिनिधि जुड़े थे।