भिलाई [न्यूज़ टी 20] बेंगलुरु. आज से तकरीबन 7 साल पहले पूनम राणा नाम की एक महिला पेट दर्द की शिकायत के साथ बेंगलुरु शहर के मणिपाल अस्पताल में आई थीं. उस वक्त उन्हें क्या मालूम था कि वह फिर अस्पताल से अपने घर वापस नहीं जा पाएंगी.

7 साल तक कोमा में रहीं और आखिरकार बीते मंगलवार को सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया. अक्टूबर 2015 में पेट दर्द की वजह से पूनम राणा अस्पताल में भर्ती हुई थीं. शुरुआती जांच के बाद उन्हें सर्जरी की सलाह दी गई.

मगर आगे की जांच में डॉक्टरों ने पाया कि पुनम की समस्या गंभीर है. 2 अक्टूबर 2015 को उन्हें एमआईसीयू (मेडिकल इंटेसिव केयर यूनिट) में भर्ती कराया गया. इस दौरान वह कोमा में चली गईं. डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक,

मणिपाल अस्पताल ने बयान जारी कर कहा, ‘बीते सात सालों में उनकी देखरेख में कोई कमी नहीं की गई. उन्हें स्वास्थ्य सुविधा मुहैया की गई. तमाम कोशिशों के बावजूद 24 मई 2022 को दोपहर 12 बजे बीमारी की वजह से उन्होंने दम तोड़ दिया.’

9.5 करोड़ रुपये का आया बिल

पूनम दिल्ली की रहने वाली थीं और एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करती थीं. उनकी शादी बेंगलुरु में बसे केरल के रहने वाले रेजिश नायर से हुई थी. दोनों के बच्चे नहीं थे.

36 साल के नायर ने कहा कि जब उनकी पत्नी की मौत हुई तो वह डीप कोमा में थीं. नायर का कहना है कि इलाज के दौरान उन्हें 9.5 करोड़ रुपये का बिल दिया गया था, जिसमें से उन्होंने 2 करोड़ रुपये का भुगतान किया था.

42 साल तक अरुणा थीं कोमा में

इससे पहले अरुणा शानबाग 42 साल तक कोमा में रही थीं, जिनकी मौत 68 साल की उम्र में 18 मई 2015 को हुई. साल 1973 में अरुणा मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में रेप की शिकार हुई थीं.

इस घिनौने अपराध को अंजाम देने वाले वार्ड ब्वॉय सोहनलाल ने अरुणा के गले में कुत्ते को बांधने वाली चेन लपेटकर मारने की कोशिश की थी.

छूटने के लिए अरुणा ने खूब ताकत लगाई, मगर गले की नसें दबने की वजह से वह बेहोश हो गईं और कोमा में चली गईं. इसके बाद वह कभी ठीक नहीं हो सकीं.

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