भिलाई [न्यूज़ टी 20] श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने उत्पाद मचाना शुरू कर दिया. तोड़-फोड़ और भारी उपद्रव के बीच कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभा रहे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे इससे खासे नाराज हैं. उन्होंने श्रीलंकाई सेना और पुलिस को आदेश दिया है कि

वे इन उपद्रवियों से निपटने के लिए जो कुछ भी जरूरी समझते हैं, वह करें ताकि देश में कानून और व्यवस्था कायम रहे. श्रीलंका में कल से दोबारा सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हो गया है जिसमें भारी नुकसान की खबर आ रही है. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री रनिल विक्रमसिंघे के सरकारी आवास के गेट को तोड़कर अंदर घुस गए हैं.

सरकारी दफ्तरों और आवासों में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए

रानिल विक्रमसिंघे ने टेलीविजन भाषण कहा, हमें लोकतंत्र पर मंडरा रहे इस फासीवादी खतरे को समाप्त करना चाहिए. हम सरकारी संपत्ति को बर्बाद नहीं होने दे सकते. राष्ट्रपति कार्यालय, राष्ट्रपति सचिवालय और प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास में उचित सुरक्षा बहाल होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, मेरे कार्यालय में मौजूद लोग कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में जिम्मेदारी अदा करने से मुझे रोकना चाहते हैं. हम उन्हें अपना संविधान फाड़ने नहीं दे सकते.कुछ मुख्यधारा के राजनेता भी इन उग्रवादियों का समर्थन करते प्रतीत होते हैं. इसलिए मैंने राष्ट्रव्यापी आपातकाल और कर्फ्यू की घोषणा की है.

फासीवादी ताकतों से खतरा 

रानिल विक्रमसिंघे ने टीवी स्टेटमेंट में कहा है कि प्रदर्शनकारी मुझे अपने कार्यवाहक राष्ट्रपति के कर्तव्यों से वंचित करना चाहते हैं लेकिन मैं ऐसे फासीवादी प्रदर्शनकारियों को कानून-व्यवस्था अपने हाथ में लेने नहीं दे सकता. हर हाल में इसे रोकना होगा. रानिल विक्रमसिंघे ने कहा,

मैंने मिलिट्री कमांडर और पुलिस प्रमुख को आदेश दिया है कि विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए जो भी जरूरी कदम हो वो उठाएं. हम संविधान को फाड़ने की अनुमति नहीं दे सकता. हमें हर हाल में अपने लोकतंत्र को बचाने के लिए इस फासिस्ट खतरों को रोकना होगा. क्योंकि फासीवाद हमारे लिए खतरा है.

सरकारी भवनों को खाली करने का आदेश

विक्रमसिंघे ने प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि वे यथाशीघ्र सरकारी भवनों को खाली कर दें और पुलिस को अपना काम करने दें. दूसरी ओर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे की जगह नामांकित होने वाले विपक्ष के नेता सजीत प्रेमदासा ने विक्रमसिंघे की इमरजेंसी लगाने के कदम की आलोचना की है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सिर्फ कार्यवाहक राष्ट्रपति हैं. जब तक राष्ट्रपति औपचारिक रूप से इस्तीफा नहीं दे देते तब तक पीएम ऐसा नहीं कर सकते हैं. इधर राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने संसद के स्पीकर को सूचित किया है कि वे आज अपना इस्तीफा दे देंगे.

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