
घर-कार में चौकोर, लेकिन जहाज-विमान में गोल क्यों?
आमतौर पर घर और कारों की खिड़कियां चौकोर या आयताकार होती हैं। लेकिन क्या आपने गौर किया है कि जहाजों और विमानों में खिड़कियां हमेशा गोल होती हैं? इसके पीछे केवल डिजाइन नहीं बल्कि सुरक्षा से जुड़ी बड़ी वजह है।
द्वितीय विश्व युद्ध से मिला सबक
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई लिबर्टी कार्गो जहाज अचानक बीच से चटक कर दो हिस्सों में टूट गए। जांच में सामने आया कि इन हादसों का कारण था चौकोर खिड़कियां और उनके नुकीले कोने। दरअसल, चौकोर खिड़कियों के 90 डिग्री कोनों पर दबाव एक जगह केंद्रित हो जाता था, जिससे धातु में दरारें पड़ने लगती थीं और जहाज टूट जाते थे।

जहाजों में क्यों जरूरी है गोल खिड़कियां
उस समय के जहाजों में स्टील की गुणवत्ता भी कमजोर थी। ठंडे अटलांटिक महासागर का पानी धातु को और भुरभुरा बना देता था। चौकोर खिड़कियों के कोनों में पड़ी दरारें जहाज को और जल्दी कमजोर कर देती थीं। इसलिए समाधान निकाला गया कि जहाजों में गोल खिड़कियां लगाई जाएं, ताकि दबाव समान रूप से बंट सके और दरारें बनने की संभावना न रहे।
विमानों में भी हुआ हादसा
इसी तरह मई 1953 से अप्रैल 1954 के बीच तीन De Havilland विमान हादसे का शिकार हुए। जांच में पता चला कि उनकी चौकोर खिड़कियां ही क्रैश की वजह बनीं। तभी से विमान डिजाइन में बड़ा बदलाव किया गया और खिड़कियों व दरवाजों के कोनों को गोल कर दिया गया।
क्यों सुरक्षित हैं गोल खिड़कियां
👉 गोल खिड़कियां दबाव को समान रूप से वितरित करती हैं।
👉 90 डिग्री के नुकीले कोनों से होने वाली दरारों का खतरा खत्म हो जाता है।
👉 चाहे जहाज हो या विमान, गोल खिड़कियां स्ट्रक्चर को मजबूत और सुरक्षित बनाती हैं।
