
नई दिल्ली। वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता को लेकर लंबे समय से चली आ रही बहस अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। संसद से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025’ को मंजूरी दे दी है। अब यह विधेयक कानून का रूप ले चुका है और इसका सीधा असर देशभर की वक्फ संपत्तियों और उससे जुड़े नियमों पर पड़ेगा।
क्या है नया वक्फ कानून?

इस कानून के जरिए वक्फ अधिनियम 1995 में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसका मकसद पारदर्शिता, जवाबदेही और समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करना है।
अब गैर मुस्लिम और महिलाएं भी वक्फ बोर्ड में होंगी शामिल
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वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अब गैर मुस्लिम, पसमांदा मुस्लिम और महिलाएं भी सदस्य बन सकेंगी।
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निर्णय लेने में लैंगिक और सामाजिक विविधता को बढ़ावा मिलेगा।
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इस्लाम धर्म के जानकार का बोर्ड में होना अनिवार्य होगा।
संपत्ति घोषित करने से पहले होगी सख्त जांच
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अब बिना दस्तावेज और वैध प्रमाण के कोई भी जमीन वक्फ संपत्ति नहीं घोषित की जा सकेगी।
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जिला कलेक्टर को सर्वे का अधिकार मिलने से प्रक्रिया होगी पारदर्शी और निष्पक्ष।
आदिवासी क्षेत्रों में नहीं होगी वक्फ संपत्ति की घोषणा
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संविधान की 5वीं और 6ठी अनुसूची के तहत संरक्षित क्षेत्रों — जैसे पूर्वोत्तर, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और गुजरात — में वक्फ संपत्ति घोषित नहीं की जा सकेगी।
सिर्फ इस्लाम धर्म मानने वाला ही दे सकेगा वक्फ दान
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संपत्ति दान करने वाला व्यक्ति कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम धर्म का अनुयायी होना चाहिए।
महिलाओं को मिलेगा वक्फ संपत्ति में अधिकार
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विधवा, तलाकशुदा और अनाथ मुस्लिम महिलाओं को पारिवारिक वक्फ संपत्ति में उत्तराधिकार का अधिकार मिलेगा।
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यह अधिकार वक्फ-अलल-औलाद यानी पारिवारिक वक्फ में भी लागू होगा।
वित्तीय पारदर्शिता पर भी ज़ोर
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जिन वक्फ संस्थाओं की सालाना आय 1 लाख रुपये से अधिक है, उन्हें वार्षिक ऑडिट करवाना अनिवार्य होगा।
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6 माह के भीतर संपत्ति विवरण वक्फ पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य।
मुस्लिम ट्रस्ट नहीं होंगे वक्फ की संपत्ति में शामिल
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देश के अन्य मुस्लिम ट्रस्ट या संस्थाएं, जो अन्य कानूनों के तहत पंजीकृत हैं, अब वक्फ संपत्ति नहीं मानी जाएंगी।
अब ट्रिब्यूनल को मिलेगी अधिक शक्ति
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वक्फ से जुड़े 31,000 से अधिक मामलों के समाधान के लिए ट्रिब्यूनल को सशक्त किया गया है।
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ट्रिब्यूनल के फैसले को अब हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर हुईं याचिकाएं
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इस विधेयक को लेकर अब तक चार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं।
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कांग्रेस, AIMIM, आम आदमी पार्टी और APCR ने इसे भेदभावपूर्ण करार दिया है।
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जबकि सरकार का दावा है कि यह कानून मुस्लिम महिलाओं और संपत्ति प्रबंधन की पारदर्शिता के हित में है।
जानिए देश के किस राज्य में वक्फ की कितनी हैं जमीनें :


