किसी भी महिला के लिए मां बनने का सपना एक अलग ही खुशी देता है. इसके लिए कठोर तप करना पड़ता है. नौ महीनों में स्त्री कई तरह के शारीरिक और मानसिक कष्ट सहती है, तब जाकर उसकी गोद में मुस्कराती हुई संतान नजर आती है. लेकिन मां बनने का सुख हर महिला को नहीं मिल पाता है. ऐसे में वो तरह-तरह के उपाय करती है. डॉक्टरों से सलाह लेती है. तब जाकर उसकी कोख में एक बच्चा पलता है. आज हम आपको एक ऐसी ही महिला के बारे में बताने जा रहे हैं. इस महिला का दावा है कि इसके जुड़वां बच्चे पैदा हुए, लेकिन दोनों बच्चों की मां अलग-अलग थीं. महिला कंस्ट्रक्शन कंपनी की मालकिन है, जबकि उसका पति बिजली मिस्त्री का काम करता है. आखिर ये अजब-गजब कारनामा हुआ कैसे? क्या ऐसा संभव है? हर किसी के मन में यही सवाल उठता है.

इस महिला का नाम एरिन क्लैंसी है, जो 42 साल की हैं. एरिन एक निर्माण कंपनी की मालकिन हैं. वे अपने 38 साल के इलेक्ट्रिशियन पति ब्रायन और बेटों डायलन (12 महीने) और डेक्लेन (6 महीने) के साथ न्यूयॉर्क, अमेरिका में रहती हैं. उन्होंने अपने जुड़वां बच्चों के जन्म के पीछे की आश्चर्यजनक कहानी बताई है, जिनमें से एक उनके अपने गर्भ में और दूसरा एक सरोगेट के माध्यम से 900 मील दूर इलिनोइस में पैदा हुआ.

एरिन ने बताया कि जनवरी 2016 में मैं ब्रायन से एक ऑनलाइन डेटिंग साइट पर मिली थी. वह बेहद सुंदर और दूसरों का खयाल रखने वाला शख्स था, जिसकी मुझे तलाश थी. हम एक-दूसरे से तीन साल तक मिलते रहे, फिर उसने शादी का प्रस्ताव रखा और हमने सितंबर 2020 में शादी कर ली. शादी के 4 महीने बाद जनवरी 2021 से ही हमने प्रेग्नेंसी की तैयारी शुरू कर दी. हमें लगा कि यह सब आसानी से हो जाएगा.

लेकिन जैसा कि हमने बताया कि कई महिलाओं को मां बनने का सुख नहीं मिल पाता. ऐसा ही कुछ एरिन के साथ हुआ. नैचुरल तरीके से प्रेग्नेंट न हो पाने की वजह से एरिन ने 39 साल की उम्र में आईवीएफ का सहारा लिया. पहला प्रयास असफल रहा, लेकिन दूसरे में सफलता मिल गई. हालांकि, 7 सप्ताह बाद ही एरिन का गर्भपात हो गया. एरिन ने बताया कि मैं बहुत परेशान थी. ऐसे में हमारा ध्यान सरोगेसी की तरफ गया.

काफी जांचने-परखने के बाद हमें सरोगेसी के लिए एक महिला मिल गई, जो न्यूयॉर्क से 900 मील दूर इलिनोइस में रहती थी. हमने सरोगेसी की तैयारियां शुरू कर दीं. लेकिन उस महीने एरिन का पीरियड नहीं आया. जब उन्होंने चेक किया तो पाया कि वो प्रेग्नेंट हैं. दूसरी ओर सरोगेसी से बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया भी प्रोसेस में थी. एरिन ने बताया कि मैं पहले भी प्रेग्नेंट हो गई थी, लेकिन गर्भपात हो गया. इसलिए हमने सरोगेसी को भी आगे बढ़ाने का निर्णय लिया.

एरिन ने बताया कि जब उनकी प्रेग्नेंसी के 6 सप्ताह हुए तो ब्लिडिंग होने लगी. लेकिन अस्पताल में बताया गया कि बच्चा बिल्कुल सुरक्षित है. हालांकि, उनके अंदर डर बना हुआ था कि कभी भी कुछ भी हो सकता है. ऐसे में जब वो 6 महीने की गर्भवती थीं, तब सरोगेट महिला में सफल भ्रूण प्रत्यारोपित किए गए. इसके 7 दिन बाद एरिन का आल्ट्रासाउंड हुआ, जिसमें उनके पेट में पल रहा बच्चा भी ठीक था. ऐसे में एरिन ने तुरंत अपने पति ब्रायन को फोन किया और बताया कि हमारे दो बच्चे होने वाले हैं.

एक तरफ एरिन ने अपने बड़े बेटे डायलन को जन्म दिया, तो दूसरी ओर सरोगेट महिला लगातार अपने हेल्थ अपडेट भेजती रही. एरिन ने बताया कि यह महसूस करना अजीब था कि मेरा बच्चा हिल रहा है और मेरा पेट बढ़ रहा है, जबकि मेरा दूसरा बच्चा दूसरी महिला के शरीर में यही कर रहा था. हालांकि, दोनों जैविक रुप से जुड़वां नहीं थे, लेकिन स्पर्म एक ही समय पर आईवीएफ के लिए दिए गए थे.

अद्भुत था जुड़वां बच्चों का मां बनना

एरिन ने बताया कि जब हमारा बड़ा बेटा डायलन 6 महीने का था, तब डेक्लेन का सरोगेसी से जन्म हुआ. हम कुछ सप्ताह के लिए उसके पास गए. मैं उसे गोद में लेने वाली पहली व्यक्ति थी और मुझे इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ. बांझपन के अंधेरे से बाहर निकलकर मैं अब दो स्वस्थ लड़कों की मां बन चुकी थी. एरिन ने बताया कि मैंने बच्चों की देखभाल के बारे में एक फोरम पर पोस्ट किया था, जिसमें बताया था कि जुड़वां बच्चों की उम्र में छह महीने का अंतर है. इस बारे में जानकर लोगों को भरोसा नहीं हुआ. वो कहने लगे कि इसमें कोई घोटाला है. यह कैसे संभव है?

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