Tibet Flight Restriction: तिब्बत के ऊपर क्यों नहीं उड़ते हवाई जहाज? जानिए इसके पीछे छिपे वैज्ञानिक और सुरक्षा कारण...

तिब्बत के ऊपर प्लेन क्यों नहीं उड़ते?

दुनिया में जब भी फ्लाइट रूट्स की बात होती है, तो एक बात स्पष्ट दिखती है – अधिकांश अंतरराष्ट्रीय उड़ानें तिब्बत के ऊपर से नहीं गुजरतीं। यह न कोई साजिश है और न ही अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक निर्णय, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक, भौगोलिक और सुरक्षा कारण छिपे हैं।

 ‘रूफ ऑफ द वर्ल्ड’ तिब्बत की ऊंचाई है सबसे बड़ी चुनौती

तिब्बत को धरती की छत (Roof of the World) कहा जाता है। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 5,000 मीटर (16,400 फीट) है। हालांकि, वाणिज्यिक विमान सामान्यतः इससे कहीं ऊंचाई पर उड़ते हैं, लेकिन इस ऊंचाई का महत्व तब बढ़ जाता है जब कोई आपातकालीन स्थिति (emergency situation) उत्पन्न हो जाए।

 इमरजेंसी लैंडिंग की कोई संभावना नहीं

अगर किसी फ्लाइट में केबिन प्रेशर अचानक गिर जाए, तो पायलट को विमान को 10,000 फीट या उससे नीचे लाना होता है ताकि यात्री सांस ले सकें। लेकिन तिब्बत की भूमि ही 16,000 फीट के आसपास है। यानी ऐसी स्थिति में विमान के लिए नीचे आना संभव नहीं होता क्योंकि वह सीधे किसी पर्वत से टकरा सकता है।

इसके अलावा, तिब्बत में कोई बड़ा एयरफील्ड या रनवे नहीं है जहाँ आपातकालीन लैंडिंग की जा सके। ये स्थितियाँ इसे वाणिज्यिक विमानों के लिए एक जोखिमभरा क्षेत्र बनाती हैं।

 टर्ब्यूलेंस का खतरा – विमान के लिए खतरनाक और यात्रियों के लिए असुविधाजनक

तिब्बत एक पहाड़ी इलाका है, जहां टर्ब्यूलेंस (air turbulence) आम बात है।
यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रल लैंकशायर के एयरोस्पेस विशेषज्ञ डैरेन एंसल के मुताबिक:

“जब हवा ऊंचे पहाड़ों से टकराती है तो उसमें अस्थिरता आती है, जिससे तेज झटके महसूस होते हैं।”

यह टर्ब्यूलेंस यात्रियों के लिए न केवल डरावना होता है, बल्कि पायलट के लिए भी उड़ान को नियंत्रित करना मुश्किल बना देता है।

 टेक्नोलॉजी की सीमाएं भी एक वजह

तिब्बत का इलाका इतना दुर्गम है कि वहां एयर ट्रैफिक कंट्रोल, रडार कवरेज और नेविगेशन सिस्टम पूरी तरह कारगर नहीं होते। इसके कारण विमान वहां सुरक्षित नेविगेशन नहीं कर सकते।

 कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध नहीं, लेकिन सुरक्षा सर्वोपरि

ध्यान देने वाली बात ये है कि तिब्बत के ऊपर उड़ान भरने पर कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध (ban) नहीं है।
लेकिन एयरलाइंस कंपनियाँ स्वेच्छा से इस रूट से बचती हैं, ताकि यात्रियों और विमान की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

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