Yakutia- World’s coldest village: साइबेरियाई रेगिस्तान में दुनिया का सबसे ठंडा गांव है, जहां माइनस 40C° तापमान को ‘गर्म’ दोपहर माना जाता है, और माइनस 68C° तापमान सहनीय माना जाता है, यहां लोगों का जीवन डीप फ्रीजर में रहने जैसा है. इस गांव का नाम ‘याकुटिया’ (Yakutia) है, जिसे पृथ्वी पर सबसे ठंडी जगहों में से एक माना जाता है. यहां रहने वाले लोगों की लाइफस्टाइल काफी चैलेंजिंग है जिसे जानकर ही आप हैरान रह जाएंगे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस का याकुटिया गांव एक सुंदर जगह है, भले ही हममें से कई लोगों के लिए यहां बस कुछ मिनट बिताना भी दूभर हो सकता है. यहां के लोग सुबह उठ कर, जो सबसे पहला काम करते हैं, वो है लकड़ियों को इकट्ठा करना और फिर उनको चूल्ह में जला कर घर के अंदर रहने लायक गर्म वातावरण बनाना है. घर अक्सर कंक्रीट के ढेर पर बनाए जाते हैं, ठंडे मौसम का सामना करने और जितना संभव हो उतनी ठंडी झेलने के लिए बनाए जाते हैं.

लोग पहनते हैं अधिक कपड़े-मोटे जूते

ठंड से बचने के लिए लोग यहां अधिक कपड़े पहनते हैं, जो अक्सर रोएंदार होते हैं, जो गर्म फर से बने हुए हैं. लोगों को मोटे-मोटे जूते पहन कर हर वक्त रहना ही पड़ता है, उनके बिना वे एक पल भी नहीं कर सकते हैं. रेडियेटर या हीटर नजर नहीं आने पर घर को 9 बर्फीले महीनों में भारी मात्रा में लकड़ी का उपयोग करके गर्म रखा जाता है, जब तापमान शून्य से काफी नीचे चला जाता है. घरों को गर्म करने के अलावा यहां पीने योग्य पानी ढूंढना सबसे कठिन काम है.

गांव में नहीं है कोई पाइपलाइन

इस गांव में किसी भी तरह की कोई पाइपलाइन नहीं है. वाटर ट्रीटमेंट फैसिलिटी या प्लम्बिंग सिस्टम पर कोई भी प्रयास हमेशा अपने रास्ते पर ही रुका रहता है, क्योंकि मेटल के पाइप 24 घंटे ठोस रूप से जमे रहते हैं. बर्फ के टुकड़ों को पिघला कर पानी प्राप्त किया जाता है. पीने की पानी की तरह ही यहां खाने-पीने की चीजों की हमेशा ही दिक्कत रहती है, क्योंकि यहां फसलों को उगाना बेकार ही रहता है.

गर्म महीनों में स्ट्रॉबेरी या दूध से बनें अधिक पौष्टिक खाने की चीजों को कड़ाके की सदियों के दिनों के लिए बचाकर रखा जाता है. मछलियां, स्ट्रॉबेरी और क्रीम को नियमित रूप से लोगों के खाने में परोसा जाता है. मछलियां यहां रहने वाले लोगों के लिए मीट का मुख्य स्रोत है. आइसक्रीम इस क्षेत्र में पसंदीदा है, क्योंकि यह कभी नहीं पिघलती है और हमेशा अपने नाम के अनुरूप रहती है. सूप अक्सर तब परोसा जाता है, जब दिन में बहुत ज्यादा ही ठंड होती है.

कोई भी दिन जब तापमान -55C° से नीचे रहता है, वह बच्चों के लिए स्कूल जाने के लिए बहुत खतरनाक माना जाता है. सुबह अपने दांत ब्रश करने, अपने चेहरे पर छींटे मारने और शौचालय जैसे रोजमर्रा के काम बर्फ के ठंडे पानी से किए जाते हैं, हममें से अधिकांश के लिए इसे छूना लगभग असहनीय होता है. अपने चेहरे को मोटे स्कार्फ, इयर मफ और स्नूड से पूरी तरह ढंकना गांव में आम बात है. जैसे ही आप बाहर कदम रखते हैं, शो में मौजूद सभी बाल तुरंत बर्फ में बदल जाते हैं.

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