Kadykchan – Largest Ghost Town in Russia: कैडिक्चन रूस का सबसे बड़ा भूतिया शहर है. यह देश के सुदूर पूर्व में स्थित है. एक खदान में विस्फोट के बाद यह साइबेरियाई सिटी लगभग पूरी तरह से मैप से गायब हो गई, जिससे यहां रहने वाले लोगों को इसे छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. अब यह कोल माइनिंग सिटी 30 सालों से अधिक समय से वीरान पड़ी हुई है. इसे सड़ने के लिए छोड़ दिया गया है. यहां सिर्फ बिल्डिगों के खंडहर ही बचे हैं, जो देखने में काफी डरावने लगते हैं.

‘हड्डियों की सड़क’ के किनारे पर है ये शहर:  एक रिपोर्ट के अनुसार, रोंगटे खड़े कर देने वाले एक वीडियो में इस सिटी के ढहते अपार्टमेंट ब्लॉक, डैमेज क्लासरूम्स, जंग खाते प्लेग्राउंड्स दिखाई देते हैं. जो कभी यहां के मगाडान प्रांत (Magadan province) में बसा हुआ था. इस इलाके को ‘कोलिमा’ के नाम से भी जाना जाता है, यह एक ऐसा नाम जो रूसियों के दिलों में डर पैदा करता था. यहां तक पहुंचने के लिए केवल एक ही हाईवे है, जिसे स्टालिन के शासनकाल के दौरान लेबर कैंप्स में मारे गए लोगों की संख्या के कारण ‘हड्डियों की सड़क’ कहा जाता है.

युद्ध के बाद, कैडिक्चन में खोली गईं 2 खदानें

सोवियत काल के तानाशाह ने 1930 के दशक में जबरन मजदूरी कराकर इस निर्जन भूमि से खनिज, धातु और सोना निकालने के लिए खनन शुरू करवाया था. पूरे 30 के दशक में और सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान दस लाख से अधिक कैदियों को कोलिमा की भयानक परिस्थितियों और -50C तापमान में पीड़ा सहनी पड़ी. उनमें से दो लाख लोग मर गए. युद्ध के बाद, कैडिक्चन में 2 कोयला खदानें खोली गईं. अच्छे वेतन और एक फ्लैट के वादे से आकर्षित होकर जल्द ही कैदियों की जगह नागरिकों ने ले ली.

USSR के पतन से मंदी में डूब गया शहर

जैसे-जैसे कॉल्ड वॉर बढ़ता गया, 1970 के दशक में शहर में काफी डेवलमेंट हुआ. यहां काम चाहने वाले लोगों की भीड़ बढ़ गई. उन्होंने म्यूजिक फेस्टिवल शुरू किए और क्लब खोले. 1989 में, सोवियत यूनियन का पतन हो गया और मजदूरों के वेतन की कोई गारंटी नहीं रह गई. कोयला खनन करने वाला शहर मंदी में डूब गया, एक खदान बंद हो गई और भविष्य अंधकारमय दिखने लगा.

एक पूर्व निवासी तातियाना शेपालकिन ने बीबीसी को बताया, ‘वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा था और लोग खाने जैसी बुनियादी चीजें भी नहीं खरीद सकते थे. कल्पना कीजिए कि आपका पति खदान से घर आता है और आपके पास उसे खाने के लिए देने के लिए कुछ नहीं है. बच्चे भूखे हैं.’ साथ ही उन्होंने कहा, ‘चीजें बहुत भयानक थीं. हालात इतने हताश थे कि लोग खाने के लिए कुत्तों को गोली मार रहे थे.’

जब खदान में हुआ विस्फोट, मारे गए थे 6 लोग

25 नवंबर 1996 को त्रासदी आने तक ऐसा नहीं लगा कि यह और भी बदतर हो सकता है. सुबह की बिजी शिफ्ट के दौरान खदान में मीथेन विस्फोट हुआ और 6 लोगों की मौत हो गई. इसके बाद आखिरी खदान भी हमेशा के लिए बंद कर दी गई थी. लोगों के हाथ से रोजगार छीन गया और वे भूखे मरने लगे. इसलिए यहां से लोगों ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया. जल्द ही शहर पूरी तरह से खाली हो गया.

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