दुनिया में कई मुल्‍क हैं, जिन्‍हें महाशक्‍त‍ियों ने अपनी ताकत के दम पर रौंद डाला. तबाह कर दिया. लेकिन भारत के पड़ोस में एक मुल्‍क ऐसा भी है, जहां उनकी एक न चली. करीब 80 देशों पर शासन करने वाले ब्रिटिश साम्राज्‍य ने इसे जीतने के लिए पूरी शक्‍त‍ि लगा दी लेकिन कुछ हाथ नहीं आया और उन्‍हें देश छोड़कर जाना पड़ा. सोवियत संघ ने आक्रमण किया, लेकिन वे भी इस पर कब्‍जा पाने में नाकाम रहे. यहां तक कि हाल के दिनों में अमेरिका ने भी पूरी कोश‍िश की, लेकिन उन्‍हें भी मुंह की खानी पड़ी. इसील‍िए इस देश को ‘साम्राज्यों की कब्रगाह’ कहा जाता है. जिसे महाशक्‍त‍ियां भी जीतने में नाकामयाब रहीं. अजबगजब नॉलेज सीरीज में आज बात इसी मुल्‍क की. जानेंगे कि आख‍िर क्‍यों इसे ‘साम्राज्यों की कब्रगाह’ कहा जाता है.

हम बात कर रहे ताल‍िबान की हुकूमत वाले अफगान‍िस्‍तान की. हाल ही में चीन ने यहां अपने राजदूत की तैनाती की तो यह एक बार फ‍िर चर्चा में आ गया. चीन पहला देश है, जिसने तालिबान की सत्‍ता आने के बाद अपने राजनय‍िक तैनात किए हैं. सबसे पहले इस मुल्‍क पर सोवियत संघ ने 1979 में हमला किया. वे चाहते थे कि तख्‍तापलट करके बनाई गई वहां की कम्‍य‍ुनिस्‍ट सरकार को किसी तरह बचा लिया जाए. लेकिन उनकी सारी कोश‍िशें धरी की धरी रह गईं. 10 साल तक युद्ध चला और आख‍िरकार वे इसे जीत नहीं पाए.

ब्रिट‍िश साम्राज्‍य को तीन बार मात मिली

19वीं सदी में जब ब्रिटिश हुकूमत अपनी ताकत के चरम पर थी. किसी भी देश को जीत लेना उनके लिए खेल हुआ करता था. कहीं भी तंबू लगा देते थे और उसे अपना साम्राज्‍य घोष‍ित कर देते थे. उस वक्‍त उन्‍होंने अफगान‍िस्‍तान पर हमला किया. 1839 से 1919 के बीच तीन बार इस देश में अपने सैनिक भेजे, लेकिन तीनों ही बार ब्रिट‍िश साम्राज्‍य को मात मिली. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ जनजातियों ने बेहद सामान्य हथियारों से दुनिया की सबसे ताकतवर सेना का मुकाबला किया और उन्‍हें बर्बाद कर दिया. आप जानकर और भी हैरान होंगे कि ब्रिटिश हुकूमत और सोवियत संघ अफगान‍िस्‍तान पर हमले के बाद से ही बिखरने लगे. उनकी शक्‍त‍ि कम होने लगी.

अमेरिका इस युद्ध में तबाह हो गया

आख‍िर में अमेरिका ने इस देश को निशाना बनाया. उसी वक्‍त वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था. इसके पीछे ओसामा बिन लादेन और अलकायदा का हाथ था. अमेरिका मानता था कि अफगान‍िस्‍तान में ताल‍िबान हुकूमत दोनों को पनाह दे रही है. इसल‍िए ताल‍िबान को सत्‍ता से बाहर करने के लिए साल 2001 में अमेरिकी सेना ने अटैक कर दिया. तालिबान से लड़ने के लिए अरबों डॉलर ख़र्च किए और बड़ी संख्या में सैनिक भेजे. 20 साल तक चले युद्ध में लाखों लोगों की जान गई, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अमेरिका को वहां की जमीन छोड़कर जाना पड़ा. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अफगान‍िस्‍तान युद्ध पर अमेरिका हर साल 100 अरब डॉलर खर्च कर रहा था. अब शायद ही कोई मुल्‍क साम्राज्यों की कब्रगाह माने जाने वाले इस देश पर आक्रमण करने का जोख‍िम उठाए.

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