आज के समय में ग्लोबल वॉर्मिंग एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है. धरती के बढ़ते तापमान के कई कारण है. इसमें सबसे बड़ा कारण है प्रदुषण. जैसे-जैसे पॉल्यूशन बढ़ रहा है, वैसे वैसे ही धरती का तापमान भी बढ़ रहा है. इसकी वजह से पृथ्वी पर ऐसे कई बदलाव आ रहे हैं, जिसका भविष्य में अंजाम ख़तरनाक साबित होगा.
ग्लोबल वॉर्मिंग का सबसे बड़ा प्रभाव धरती के ग्लेशियर्स पर पड़ रहा है. आर्कटिक और अंटार्कटिक में सदियों से जमी बर्फ तेजी से पिघलने लगी है. ये किसी भी तरह से अच्छी खबर नहीं है. बर्फ के पिघलने की वजह से समुद्र का लेवल ऊपर होता जा रहा है. जिसके कारण कई जगहों पर जमीन पानी के नीचे चली गई है. अगर इसी रफ़्तार से बर्फ पिघलती रही तो कई ऐसे देश हैं जो कुछ समय के बाद नक़्शे से गायब हो जायेंगे.
इन देशों पर मंडराया खतरा
ग्लेशियर्स के पिघलने की वजह से कई देश पानी में डूब जायेंगे. अगर ग्लेशियर्स इसी रफ़्तार से पिघले तो समुद्र का लेवल 80 मीटर पर बढ़ जाएगा. इसके कारण वैसे देश जो समुद्र के लेवल से 80 मीटर नीचे होंगे, वो पानी में डूब जायेंगे. इसमें जिन देशों का नाम शामिल है, वो है तुवालु, मालदीव्स, मारशल आइलैंड, द गैम्बिया, द बहमास, नॉरू, वैटिकन सिटी, बरमूडा और निउए. इसमें से वैटिकन सिटी और द गैम्बिया के अलावा बाकी सारे देश छोटे आइलैंड हैं, जो समुद्र के नीचे दफ़न हो जायेंगे.
कई देशों में आ जाएगी बाढ़
इन देशों के अलावा कई देश ऐसे होंगे, जो पानी में डूबकर खत्म तो नहीं होंगे. लेकिन वहां बाढ़ की स्थिति आ जाएगी. इसमें नीदरलैंड्स, डेनमार्क, क़तर, बहरीन, बांग्लादेश, सिंगापुर, सेनेगल, आदि शामिल है. बात अगर भारत की करें तो कोस्टल एरिया के कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति बन सकती है. लेकिन द्वारका की तरह कोई हिस्सा पूरी तरह जलमग्न होने की संभावना ना के बराबर है. हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि धरती के सारे बर्फ को पिघलने में कम से कम पांच हजार साल लगेंगे. यानी अभी इस तबाही में काफी समय बचा हुआ है.