दुनिया में ऐसी कई अजीबोगरीब चीजें हैं जिनके बारे में जानकर लोग हैरान हो जाते हैं. इसी तरह एक पुल भी है जो बेहद अजीबोगरीब है. आप तो जानते होंगे कि पुलों को बनाने में कितना वक्त लगता है. सालों की मेहनत से उसे बनाया जाता है जिससे वो आने वाले कई सालों तक सही सलामत रहे. पर दुनिया में एक ऐसा भी पुल (Cambodia Bamboo Bridge) है जिसे हर साल बनाया जाता है और हर साल तोड़ दिया जाता है. अगले साल उसे दोबारा बनाया जाता है और फिर तोड़ दिया जाता है. ये प्रक्रिया सालों से चलती आ रही है. जब आप इसका कारण जानेंगे तो इस बनाने-तोड़ने की प्रक्रिया को सही मानेंगे.
एक रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी कंबोडिया के मेकॉन्ग नदी (Mekong River) पर ये अनोखा ब्रिज (Bridge Built Dismantle Every Year) बनाया जाता है. ये बांस से बना ब्रिज है. एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 3300 फीट लंबा ये ब्रिज कोह पेन (Koh Pen) नाम के आइलैंड को कैंपॉन्ग चैम (Kampong Cham) नाम के शहर से जोड़ता है. इसके बनाने में करीब 50 हजार बांस के डंडों (Bamboo bridge rebuilt every year) का इस्तेमाल किया जाता है. पर सवाल ये उठता है कि जो ब्रिज इतना लंबा है, जिसे इतनी मुश्किल से बनाया जाता है, और जिसमें हजारों लकड़ियां लगी हैं, तो फिर उसे हर साल बनाकर तोड़ क्यों दिया जाता है?
इस वजह से चलती है बनाने-तोड़ने की प्रक्रिया
इसका प्रमुख कारण है मौसम. गर्मी के दिनों में मेकॉन्ग नदी का जलस्तर काफी कम हो जाता है. इतना कम कि इसमें नाव भी ठीक से नहीं चल पाती. तब यहां के लोग नदी के ऊपर पुल बना देते हैं जिससे कोह पेन द्वीप के लोग आसानी से शहर की ओर आ सकें. बारिश का सीजन मई से नवंबर का होता है. सीजन शुरू होने से कुछ वक्त पहले पुल को तोड़ना शुरू कर दिया जाता है क्योंकि नदी का बहाव इतना ज्यादा हो जाता है कि पानी की वजह से पुल टूट सकता है. तब लोग नाव से यात्रा करते हैं. पुल टूटने के बाद निकली हुई बांस की लकड़ी को या तो रख लिया जाता है या फिर किसी और चीज को बनाने के काम में लाया जाता है.
पुल पार करने के लिए चुकाने पड़ते हैं रुपये
सालों से इस पुल को बनाने और तोड़ने का काम जारी है. कंबोडिया के सिविल वॉर के वक्त इसके निर्माण पर कुछ समय तक रोक लग गई थी. पुल इतनी मजबूती से बनता है कि सिर्फ पैदल यात्री ही नहीं, बल्कि कार, बाइक आदि भी इससे आसानी से पार हो जाती है. जो लोकल लोग पुल को पार करना चाहते हैं, उन्हें 100 कंबोडियन रियाल (2 रुपये) चुकाने पड़ते हैं. वहीं जो विदेशी इस पुल को देखने आते हैं, उन्हें 4000 रियाल (80 रुपये) चुकाने पड़ते हैं.