एक मछुआरे ने दावा किया है कि वह समुद्र में 438 दिनों तक जीवित रहा, लेकिन आखिरकार किनारे पर आने के बाद उस पर इंसान मार कर उनका मांस खाने के आरोप लगे और आज भी वह उस आरोप को झेल रहा है. यह कहानी जोस साल्वाडोर अल्वारेंगा की है जो करीब 14 साल पहले समुद्र में अपने दोस्त के साथ मछली पकड़ने निकले थे. लेकिन इतने दिनों के बाद लौटे तो उसे इस आरोप का सामना करना पड़ा जो आज तक झेल रहे हैं.
जोस साल्वाडोर अल्वारेंगा 35 वर्ष के थे, जब वे दिसंबर 2012 में मैक्सिको से शार्क-मछली पकड़ने के अभियान पर निकले थे, लेकिन उनकी 24-फुट फाइबर-ग्लास नाव की मोटर खराब हो गई, जिससे वे और उनके 22 वर्षीय साथी ईजेकील कॉर्डोबा प्रशांत महासागर में फंस गए. अल्वारेंगा तब दुनिया भर में सनसनी बन गए, जब जनवरी 2014 में उन्हें प्रशांत महासागर के बीच में एक सुदूर द्वीपसमूह मार्शल द्वीप समूह के एबन एटोल पर बहते हुए कमजोर अवस्था में पाया गया.
उनके बचने की गंभीरता ने कई लोगों को हैरान कर दिया, जिसके कारण अप्रैल 2014 में एक अमेरिकी कानूनी फर्म द्वारा मनोवैज्ञानिक परीक्षण और झूठ पकड़ने वाले परीक्षण किए गए. 2014 में मेसोनेक लॉ ऑफिस के प्रमुख जेफरी मेसोनेक ने कहा, “हमने श्री अल्वारेंगा की कहानी सुनी है और हमने नतीजा निकाला है कि यह 100 फीसदी असली है.”
अल्वारेंगा पर आरोप लगा कि उन्होंने खुद को जिंदा रखने के लिए अपने ही साथ को मार कर खा लिया था.
अल्वारेंगा के संस्मरण के अधिकारों के लिए प्रकाशकों के बीच जल्द ही बोली युद्ध शुरू हो गया. अल्वारेंगा ने दावा किया कि जब बारिश का पानी नहीं था, वे पक्षियों, मछलियों और कछुओं को पकड़कर और कछुओं का खून और अपना मूत्र पीकर मौत से बचने में कामयाब रहे.
जब अल्वारेंगा पहली बार किनारे पर आए, तो उनकी मुलाकात कॉर्डोबा की मां एना रोजा डियाज़ से हुई, दोनों के बीच एक मार्मिक मुलाकात हुई, जिसमें आंसू और गले मिलना शामिल था. लेकिन 18 महीने पहले से अल्वारेंगा और उसके मृतक साथी के परिजनों के बीच संबंध बहुत खराब हो गए हैं.
कॉर्डोबा के परिवार को अल्वारेंगा की झूठी कहानी पर संदेह था और 2015 में उन्होंने एक मिलियन डॉलर के मुआवजे की मांग की, जिसमें दावा किया गया कि उनका प्रिय एजेकिएल अपने साथी परित्यक्त व्यक्ति के हाथों नरभक्षण का शिकार हुआ था. अल्वारेंगा के वकील ने हमेशा इन दावों का पुरजोर खंडन किया है.