शेयर मार्केट|News T20: रियल एस्‍टेट को लेकर पिछले दिनों आईं नाइट फ्रैंक इंडिया और एनारॉक की रिपोर्ट ने सेक्‍टर बूम की ओर इशारा किया. कोविड काल में जिस रियल एस्‍टेट सेक्‍टर की कमर टूट गई थी, उसी सेक्‍टर ने 2023 में खूब रौनकें देखीं.

दिल्‍ली, मुंबई समेत देश के 8 बड़े शहरों में ताबड़तोड़ मकान बिके और 10 साल का रिकॉर्ड टूट गया.

एक और दूसरी खबर आई कि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में अप्रैल से दिसंबर के बीच प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेश में सालाना आधार पर 26% की कमी आई है. एनारॉक की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी अवधि में पिछले वित्त वर्ष में PE निवेश का आंकड़ा 3.6 बिलियन डॉलर था, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में ये घटकर 2.65 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया.

दोनों विरोधाभासी स्थितियों के बीच तीसरी खबर है, बजट (Union Budget 2024) से उम्‍मीदों को लेकर. उस बजट से, जो केंद्र सरकार के मौजूदा कार्यकाल का आखिरी बजट है. ये बजट वोट ऑन अकाउंट होगा.

बजट पेश होने के कुछ ही महीने बाद आम चुनाव भी होने हैं और ऐसी चर्चाएं हो रही है कि इस बजट में सरकार बड़ी घोषणाएं नहीं करने जा रही, लेकिन कहते हैं न कि उम्‍मीद पर दुनिया कायम है. तो फिर रियल एस्‍टेट सेक्‍टर क्‍यों पीछे रहे, इस सेक्‍टर को भी बजट से कई उम्‍मीदें हैं.

4 बड़ी उम्‍मीदें: सेक्‍टर मजबूत तो देश मजबूत

रियल एस्‍टेट डेवलपर्स को सरकार से 4 बड़ी उम्‍मीदें हैं और उनका कहना है कि उम्‍मीदें पूरी हुईं तो न केवल सेक्‍टर मजबूत होगा, बल्कि देश मजबूत होगा. कारण कि देश की इकोनॉमी में रियल एस्टेट सेक्टर का अहम रोल होता है. घरों की बिक्री बढ़ने से भवन निर्माण सामानों (सरिया, सीमेंट, गिट्टी, ईंट वगैरह) की सेल तो बढ़ती ही है, ये सेक्‍टर बड़ी संख्‍या में रोजगार के अवसर भी पैदा करता है.

1). रियल एस्‍टेट को मिले इंडस्‍ट्री का दर्जा

ये मांग काफी लंबे समय से हो रही है कि रियल एस्‍टेट सेक्‍टर को इंडस्‍ट्री का दर्जा दिया जाए. CREDAI-NCR (कन्‍फेडरेशन ऑफ रियल एस्‍टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया NCR) के प्रेसिडेंट और गौड़ ग्रुप (Gaur Group) के CMD मनोज गौड़ ने NDTV Profit हिंदी से बातचीत में कहा, ‘देश की आर्थिक ग्रोथ में रियल एस्टेट की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए इसे इंडस्‍ट्री का दर्जा दिया जाना चाहिए. ये हमारी सबसे बड़ी उम्मीद है.’

रहेजा डेवलपर्स के नयन रहेजा भी गौड़ की राय से सहमति रखते हैं. मनोज गौड़ ने इस बजट से स्टील, सीमेंट और टाइल्स जैसी निर्माण सामग्री के लिए GST दरों को तर्कसंगत बनाए जाने की भी उम्मीद जताई.

2). होम लोन पर टैक्‍स छूट बढ़ाई जाए

होम बॉयर्स और डेवलपर्स के लिए मांग को प्रोत्साहित करने और नियमों को सरल बनाने के लिए मनोज गौड़ स्‍ट्रै‍टेजिक राजकोषीय उपायों की उम्मीद कर रहे हैं. उनका कहना है कि रेपो रेट ज्‍यादा होने के चलते होम लोन महंगा हो रहा है और ऐसे में जब तक सरकार टैक्स में छूट नहीं देती, तब तक इस सेक्टर में तेजी नहीं आ पाएगी. उन्‍होंने कहा, ‘अंतरिम बजट में यदि होम लोन पर टैक्स छूट को 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया जाए तो निश्चित तौर पर रियल एस्टेट सेक्टर में और तेजी आएगी.’

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