भिलाई [न्यूज़ टी 20] दुर्ग-भिलाई / स्व. डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र की 124 वीं जयंती समारोह का आयोजन 11 को कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच, दुर्ग-भिलाई के मानव आश्रम सभागार में में 11 सितम्बर, 2022 को मध्यान्ह 3.30 बजे से मानस मर्मज्ञ व साहित्य मनीषी स्व. डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र की 124 वीं जयंती समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
इस समारोह में वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात साहित्यकार गिरीश पंकज जी, रायपुर मुख्य वक्ता के रूप में तथा सुरेन्द्र दुबे, डोगरगांव और आर पी दीक्षित, राजनांदगांव वक्ता के रूप में विचार व्यक्त करेंगे।
मानस मर्मज्ञ स्व. डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र 20 वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित कवि, साहित्यकार और राजनेता थे। राजनांदगाँव में 12 सितम्बर, 1898 में जन्में बलदेव प्रसाद मिश्र ने बी ए, एम ए, एल एल बी की शिक्षा पूरी की। इसके बाद अंग्रेजी षासनकाल में 1939 में “तुलसी दर्शन” पर अपना शोध प्रबंध कर “डी लिट” की उपाधि प्राप्त की।
एक शिक्षाविद् के साथ वे एक कुशल प्रशासक, राजनेता के रूप में भी पहचाने जाते थे। हिन्दी साहित्य के जाज्वल्यमान नक्षत्र डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र भारत के ऐसे प्रथम शोधकर्ता थे जिन्होंने अंग्रेजी शासनकाल में भी अंग्रेजी के बदले भारतीय भाषा हिन्दी में अपना शोध प्रबंध प्रस्तुत किया और डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
नागपुर विद्यापीठ में 10 वर्षों तक हिन्दी विभाग में मानसेवी विभागाध्यक्ष रहे। बिलासपुर के एस बी आर काॅलेज तथा रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय के प्रथम प्राचार्य भी रहें। डॉ मिश्र हैदराबाद एवं बड़ौदा विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं।
वे तत्कालीन मध्यप्रदेश एवं महाकौशल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की हिन्दी पाठ्यक्रम समिति के संयोजक भी रहे। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु ने उन्हें “भारत सेवक समाज” नामक सर्वोच्च संस्था की केन्द्रिय समिति में मनोनीत किया।
डॉ मिश्र ने देश के दिल्ली, पंजाब, वाराणसी, पटना, कलकत्ता, जबलपुर, सागर, नागपुर, हैदराबाद तथा बड़ौदा विश्वविद्यालयों में डी. लिट् तक शोध छात्रों के परीक्षक के रूप में कार्य किया। उन्होंने बिलासपुर में संभागीय सतर्कता अधिकारी एवं खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में उपकुलपति के पद पर कार्य किया।
उन्होंने मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मलेन की तीन बार अध्यक्षता भी की। इसके अलावा उन्होंने अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन के तुलसी जयंती समारोह में अध्यक्ष की भूमिका निभाई। वे बंगीय हिन्दी परिषद कलकत्ता के अध्यक्ष एवं मैसूर राज्य में हिन्दी के विशिष्ट व्याख्याता रहे।
उनकी रचनाओं में प्रमुख रूप से महाकाव्य “कौशल किशोर”, “साकेत संत“ और “रामराज्य” तथा अन्य रचनाओं ने साहित्यिक जगत में अमिट छाप छोड़ी है। नाटक, उपन्यास, काव्य संग्रह, के साथ-साथ छत्तीसगढ अंचल की लोक जीवन, रामायण और भगवतगीता पर अनेक पुस्तकें लिखी है।
लगभग सौ से अधिक प्रकाशित संग्रहों ने हिन्दी साहित्य में डॉ. मिश्र को एक अलग ही पहचान दी है। इसी कारण अन्य विचारकों विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण जी गुप्त, राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, पं. महावीर प्रसाद जी द्विवेदी, पं. रामचन्द्र शुक्ल, डॉक्टर सर हरीसिंह गौर एवं डॉ हरिवंश राय बच्चन जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों एवं कवियों ने डॉ मिश्र की साहित्यिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
स्व. डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र ने साहित्य के साथ-साथ राजनीतिक क्षेत्र में भी अपनी उल्लेखनीय सेवाएँ दी थीं। वे रायगढ, खरसिया तथा राजनांदगाँव की नगर पालिकाओं के अध्यक्ष एवं रायपुर नगर पालिका के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे। वर्ष 1972 में वे राजनांदगाँव जिले के खुज्जी विधानसभा क्षेत्र से पाँचवी विधानसभा के सदस्य चुने गये।
लम्बी कर्मयात्रा और साहित्य जगत को अपने अनमोल खजाने अर्पित करने वाले डॉ. मिश्र ने 4 सितम्बर, 1975 को परमपिता परमात्मा में लीन हो गये। कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच, दुर्ग-भिलाई के अध्यक्ष यू के दीक्षित और महासचिव आर के मिश्रा और डॉ. बलदेव प्रसाद मिश्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रचार-प्रसार समिति के अध्यक्ष एवं संयंत्र के पूर्व कार्यपालक निदेशक (वर्क्स) बी एम के बाजपेयी ने डॉ. मिश्र की 124 वीं जयंती समारोह में पदाधिकारियों और अंचल के प्रबुद्धजनों को सस्नेह आमंत्रित किया है।