भिलाई [न्यूज़ टी 20] नई दिल्ली. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा की कमजोरी लगातार बढ़ती जा रही है. मंगलवार सुबह रुपये ने पहली बार रिकॉर्ड 80 का न्यूनतम स्तर छुआ. रुपये में आ रही लगातार गिरावट का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ रहा है.
फॉरेक्स मार्केट के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 79.98 पर खुला, जो पिछले बंद से 1 पैसे नीचे था. मुद्रा विनिमय बाजार खुलते ही रुपये में गिरावट दिखने लगी और कुछ ही मिनट में यह ऐतिहासिक गिरावट के साथ 80 के पार जाकर 80.01 पर ट्रेडिंग करने लगा.
ग्लोबल मार्केट में डॉलर में आ रही मजबूती और विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से धन निकासी की वजह से रुपये पर दबाव बढ़ता जा रहा है. साल 2022 में ही रुपया डॉलर के मुकाबले 7 फीसदी टूट चुका है.
क्या है गिरावट का प्रमुख कारण
रुपये में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण ग्लोबल मार्केट का दबाव है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से आया है. ग्लोबल मार्केट में कमोडिटी पर दबाव की वजह से निवेशक डॉलर को ज्यादा पसंद कर रहे हैं, क्योंकि वैश्विक बाजार में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग डॉलर में होती है. लगातार मांग से डॉलर अभी 20 साल के सबसे मजबूत स्थिति में है.
इसके अलावा विदेशी निवेशक इस समय भारतीय बाजार से लगातार पूंजी निकाल रहे हैं, जिससे विदेशी मुद्रा में कमी आ रही और रुपये पर दबाव बढ़ रहा है. वित्तवर्ष 2022-23 में अप्रैल से अब तक विदेशी निवेशकों ने 14 अरब डॉलर की पूंजी निकाल ली है.
वित्तमंत्री ने भी जताई चिंता
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बताया कि 31 दिसंबर, 2014 से अब तक रुपये में 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. इसमें ग्लोबल फैक्टर की सबसे बड़ी भूमिका है. रूस-यूक्रेन युद्ध, क्रूड ऑयल की बढ़ती कीमत और ग्लोबल मार्केट की खराब फाइनेंशियल कंडीशन के कारण रुपये पर सबसे ज्यादा दबाव बढ़ा है.