नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) भारत सरकार के लिए दुधारू गाय साबित हुआ है. इस बार तो इस गाय ने उम्मीद से दोगुना दूध दे दिया है. सरकार गदगद है. सरकार के साथ-साथ आज शेयर बाजार भी झूम उठा. क्योंकि न तो सरकार को और न ही शेयर बाजार को ऐसी उम्मीद थी. आरबीआई ने इतिहास में पहली बार 2.1 लाख करोड़ रुपये का डिविडेंड सरकार को दिया है. यह तब है, जब दुनिया की बड़े-बड़े विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपना बही-खाता माइनस में बंद किया है तो… भारतीय केंद्रीय बैंक आरबीआई ने ये कमाल कैसे कर दिया? चलिए समझते हैं-
दुनियाभर के अर्थ जगत में इस बात की चर्चा हो रही है कि आखिर आरबीआई ने सरकार को उम्मीद से बहुत अधिक डिविडेंड कैसे दे दिया. दरअसल, आरबीआई ने बड़ी होशियारी से शेयर बाजार वाला खेल खेला और उससे मोटा मुनाफा बनाया. इस मुनाफे का एक हिस्सा सरकार की झोली में डाल दिया.
आरबीआई ने विकसित देशों के सॉवेरन सिक्योरिटीज़ में 469 बिलियन डॉलर निवेश किए थे. ये सिक्योरिटीज़ पूरी तरह रिस्क-फ्री थीं, कोई जोखिम नहीं था. 250 बिलियन तो अमेरिकी ट्रेजरी बिल में डाला गया. इसकी यील्ड लगभग 4 प्रतिशत रही, जो पिछले साल के मुकाबले अधिक थी. इससे आरबीआई ने अच्छा-खासा मुनाफा बनाया.
पिछले कुछ महीनों से आरबीआई ने रेपो रेट में भी बढ़ोतरी की है. यह भी आरबीआई की कमाई का एक बड़ा जरिया बना. बता दें कि आरबीआई ने बैंकों को शॉर्ट टर्म लोन दिया और ऊंची रेपो रेट के हिसाब से पैसा कमाया. इसके अलावा उन बैंकों को भी पैसा दिया जो लिक्विडिटी की कीम से जूझ रहे थे, क्योंकि वित्त वर्ष 24 में मनी मार्केट ने घाटे की स्थिति ही देखी. वित्त वर्ष 23 में लिक्विडिटी काफी अधिक थी, जिसे कि ‘सरप्लस लिक्विडिटी’ की स्थिति कहा जाता है.
यहां से आरबीआई ने की मोटी कमाई
1 फरवरी 2024 को अंतरिम बजट में कहा गया था कि आरबीआई इस बार 1 लाख करोड़ का डिविडेंड सरकार को देगा. उस घोषणा से डबल डिविडेंड दिया है. डिविडेंड को दोगुना करने में बहुत बड़ी मदद की है अमेरिकी करेंसी डॉलर ने. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपने फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व से बड़ी मात्रा में डॉलर को बेचा है. रिजर्व से डॉलर को बेचने का मसकद कमजोर होते रुपये को सपोर्ट करना था, मगर इसी ने आरबीआई को मोटी कमाई भी दी.
बता दें कि आरबीआई ने जो डॉलर बेचा है, उसे पहले खरीदा गया था. सस्ते में खरीदा था और अब डॉलर की कीमत बढ़ गई तो उसे बेच दिया. सभी छोटे-बड़े निवेशक शेयर बाजार में भी ऐसा ही करते हैं. सस्ता माल खरीदते हैं और महंगा बेचकर मुनाफा कमाते हैं. आरबीआई ने कुछ समय पहले जो डॉलर खरीदा था, उसे महंगे में बेचा और अपनी तिजोरी भरी. हालांकि यह जानकारी नहीं है कि आरबीआई ने किस दाम पर डॉलर खरीदा था और किस पर बेचा है.
बैंक फ्रॉड को लेकर जानें RBI का नियम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में आरबीआई ने 150 बिलियन डॉलर से अधिक की ग्रॉस सेल (Gross Sale) की है. भारतीय करेंसी में आज के हिसाब से यह 12 लाख करोड़ से अधिक (1,24,85,70,75,00,000) रुपये बनते हैं.