पाकिस्तान को एफ-16 पैकेज देने  पर विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका पर नाराजगी जाहिर की तो उधर से भी जवाब दिया गया। बाइडन प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही उनके सहयोगी हैं।

इससे पहले भी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि इस मदद का मतलब भारत को नीचा दिखाना नहीं है। अमेरिकी मंत्री एल रैटनर ने कहा था कि यह फैसला आतंकवाद और परमाणु सुरक्षा को लेकर किया गया है।

बता दें कि जब एस जयशंकर से अमेरिका की तरफ से पाकिस्तान को एफ-16 पैकेज दिए जाने पर सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था, यह वास्तव में गौर करने वाली बात है कि उसे पाकिस्तान के साथ इस संबंध से क्या हासिल हो रहा है।

बताया यह जाता है कि ऐसा आतंक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए किया जा रहा है। ऐसे में एफ-16 विमानों की बात होने लगती है. लेकिन हर कोई जानता है कि इन विमानों को कहां तैनात किया गया है साथ ही उसका इस्तेमाल किस काम के लिए हो रहा है। आप ऐसी बातें करके किसी को मूर्ख नहीं बना रहे हैं।

अब अमेरिकी गृह मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्रिंस ने कहा है, ‘हम भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध को इस लिहाज से नहीं देखते कि आपस में उनके संबंध कैसे हैं। दोनों ही हमारे सहयोगी हैं। हम दोनों सहयोगियों को देखते हैं क्योंकि हमारे उनके साथ कई स्तरों पर संबंध हैं।

कई मामलों में हमारे हित एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। भारत के साथ हमारे जो रिश्ते हैं वे बरकरार रहेंगे। वहीं पाकिस्तान के साथ भी संबंध एक निजी मामला है।’ दरअसल ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी।

हालांकि बाइडन प्रशासन ने फिर से एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर की मदद देने को मंजूरी दे दी है। भारत ने इस बात को लेकर चिंता जताई है कि जिस देश में आतंकवादियों को पनाह मिल रही है उसको इस तरह का  पैकेज देने का क्या मतलब है।

हक्कानी नेटवर्क और आतंकी संगठनों पर कार्रवाई ना करने की वजह से ही ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद रोकी थी। इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी फोन पर अपने अमेरिकी समकक्ष से बात की थी।

हालांकि अमेरिका बार-बार यही कह रहा है कि इससे भारत के साथ संबंध पर असर नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि यह मदद विमानों के रखरखाव और आतंकवाद के खिलाफ मजबूती लाने कि लिए दी गई है।

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