
314 करोड़ के रिएजेंट घोटाले में 6 आरोपी, ED ने दर्ज किया ECIR
रायपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉरपोरेशन लिमिटेड (CGMSC) के रिएजेंट सप्लाई घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी एंट्री कर ली है। पहले से ईओडब्ल्यू (EOW) की जांच में छह आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, अब मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका को देखते हुए ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
ईडी की शुरुआती जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत
सूत्रों के अनुसार प्रारंभिक जांच में पब्लिक फंड के दुरुपयोग और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े गंभीर तथ्य सामने आए हैं। माना जा रहा है कि जांच में जल्द ही IAS अधिकारियों की भूमिका भी उजागर हो सकती है और छापेमारी की संभावना भी है।

स्वास्थ्य मिशन योजनाओं में करोड़ों का खेल
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और हमर लैब योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों तक जांच सेवाएं पहुंचाने की योजना थी। इसी सिलसिले में रिएजेंट्स और मेडिकल उपकरणों की खरीदी हुई, लेकिन बिना बजट और जरूरत के 314.81 करोड़ रुपए के आदेश सिर्फ 26–27 दिनों में मोक्षित कॉरपोरेशन को दे दिए गए।
जांच में सामने आए प्रमुख घोटाले के बिंदु
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बिना समुचित आकलन और बजट स्वीकृति के मांग पत्र भेजे गए।
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स्वास्थ्य संस्थाओं में संसाधन की उपलब्धता का मूल्यांकन नहीं किया गया।
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प्रबंध संचालक ने एंटीसीपेटरी फंड से सॉफ्टवेयर में एंट्री करवाई, जो नियमविरुद्ध थी।
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खरीदी आदेशों में वित्त विभाग और वित्त नियंत्रक की अनुमति नहीं ली गई।
ईओडब्ल्यू ने जिन 6 आरोपियों पर चालान पेश किया
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शशांक चोपड़ा – मोक्षित कॉरपोरेशन के मालिक
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बसंत कुमार कौशिक
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क्षिरोद्र रौतिया
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डॉ. अनिल परसाई
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कमलकांत पाटनवार
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दीपक कुमार बंधे
ED और EOW की दोहरी जांच से बढ़ी चिंता
अब जब ED की जांच शुरू हो चुकी है, यह मामला और भी गंभीर कानूनी कार्रवाई की दिशा में बढ़ सकता है। जल्द ही IAS स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है।
