Mughal Harem: मुगलों ने भारत पर तीन शताब्दियों से ज्यादा समय तक राज किया. बाबर से शुरू हुई कहानी हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब से होते हुए बहादुर शाह जफर पर खत्म हुई. हर मुगल बादशाह के शासनकाल में अलग-अलग फरमान सुनाए. लेकिन आज हम बात करेंगे, उस मुगल बादशाह की, जिसकी मौत के बाद उसके शरीर से अंतड़ियां तक निकाल ली गई थीं.
हमबात कर रहे हैं सलीम उर्फ जहांगीर की. इतिहासकार बताते हैं कि जहांगीर अफीम और शराब के लती थे. इनकी कई शादियां हुई थीं. 1605 में जब अकबर की मौत हुई तो करीब 7 दिन तक मातम चला. आठवें दिन जहांगीर को सत्ता मिली थी. लेकिन लगातार शराब और अफीम के कारण उनकी सेहत खराब होती गई. 1620 आते आते वह काफी बीमार रहने लगे. सल्तनत की बागडोर नूरजहां के हाथों में आ गई थी. वही राजकाज से जुड़े अहम फैसले लिया करती थी.
बिगड़ती गई तबीयत
जब लाख कोशिशों के बाद भी तबीयत नहीं सुधरी तो वह कश्मीर और काबुल के दौरे पर गए ताकि सेहत में कुछ सुधार आए. लेकिन काबुल जाते वक्त भीमबेड़ में उनकी तबीयत बिगड़ने से मौत हो गई.निधन होने के बाद उनके शरीर पर लेप लगाया गया. इसके बाद शव से अंतड़ियों को निकाल कर वहीं दफना दिया गया. बाद में शरीर को बैठी मुद्रा में पालकी से लाहौर लाया गया फिर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया.
ये थी सबसे पसंदीदा बेगम
इतिहासकारों के मुताबिक, जहांगीर का अर्थ होता है दुनिया जीतने वाला. लाख कोशिशों के बाद भी जब अकबर को औलाद नहीं हुई तो वह शेख सलीम चिश्ती के पास पहुंचा. उनके आशीर्वाद से ही अकबर को 31 अगस्त 1569 को औलाद हुई, जिसका नाम सलीम चिश्ती के नाम पर सलीम रखा गया था. जहांगीर का जन्म फतेहपुर सीकरी में शेख सलीम चिश्ती की कुटिया में हुआ था.
यूं तो जहांगीर ने कई शादियां की थीं. लेकिन उनकी 20वीं बेगम नूरजहां उनकी सबसे पसंदीदा थीं. नूरजहां अपने राजनीतिक कौशल और तेज-तर्रार रवैये के लिए जानी जाती थीं. अपने शासन काल में उसने कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक काम करवाए.