भिलाई [न्यूज़ टी 2o] 2024 लोकसभा चुनाव से दो साल पहले ही विपक्ष में प्रधानमंत्री पद को लेकर रस्साकशी शुरू हो गई है। विपक्ष एक एकजुट होकर पीएम मोदी का मुकाबला करेगा या फिर 2019 की तरह ही बिखरा होगा, यह सबसे बड़ा सवाल बना हुआ है।

हाल ही में एनडीए छोड़कर आरजेडी के साथ बिहार में सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विपक्ष को एकजुट करने की मुहिम शुरू की है। इसके तहत वह सोमवार को दिल्ली आ रहे हैं। यहां वह राहुल गांधी के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाकात करने वाले हैं।

नीतीश और केजरीवाल की मुलाकात पर सत्ता और विपक्ष के साथ राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले सभी लोगों की हैं। नीतीश और केजरीवाल की मुलाकात का नतीजा क्या होता है, इस पर विपक्षी एकता का भविष्य काफी हद तक निर्भर करेगा।

क्योंकि दोनों ही नेता पीएम पद के लिए दावेदार माने जा रहे हैं। जेडीयू ने फिलहाल भले ही नीतीश की दावेदारी को खारिज किया है, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) पहले ही केजरीवाल को 2024 का सबसे मजबूत दावेदार बता चुकी है।

अरविंद केजरीवाल 7 सितंबर से मेक ‘इंडिया नंबर वन’ कैंपेन की शुरुआत करने जा रहे हैं। इसे 2024 के कैंपेन की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने पिछले कुछ दिनों इस बात पर बार-बार जोर दिया है कि मोदी के खिलाफ केजरीवाल ही सबसे दमदार विकल्प हैं और बीजेपी को हराने में ‘आप’ ही सक्षम है।

क्यों केजरीवाल के लिए मुश्किल विपक्ष के साथ जाना

केजरीवाल को नीतीश कुमार विपक्ष के साथ ला पाने में कामयाब होंगे या नहीं यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। फिलहाल राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसा होना कठिन है।

इसकी असली वजह यह है कि अरविंद केजरीवाल कांग्रेस नीत किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं होना चाहेंगे। क्योंकि उनकी पार्टी कई राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही है और यदि वह राष्ट्रीय स्तर पर देश की सबसे पुरानी पार्टी से परोक्ष रूप से भी जुड़ते हैं तो इसका उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है।

दूसरी तरफ ‘आप’ नेताओं का यह भी कहना है कि उनकी पार्टी देश में एकमात्र गैर-भाजपाई, गैर कांग्रेसी दल है जिसके पास एक से अधिक राज्यों में सत्ता है। ऐसे में अरविंद केजरीवाल की दावेदारी सबसे मजबूत है।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *