बेमेतरा / चालू बारिश में नमी और दूषित पानी के कारण विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया पैदा होते हैं। जिनमें से कुछ आंखों में संक्रमण का कारण बन सकते हैं। बारिश के दिनों में हवा में नमी बढ़ने से वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप, कुछ लोग नेत्रश्लेष्मलाशोथ, लालिमा, नेत्र फ्लू आदि से पीड़ित हो रहे हैं। नेत्रश्लेष्मलाशोथ वायरस और बैक्टीरिया द्वारा फैलता है, जिसके कारण यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। कंजंक्टिवाइटिस को पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। यह संपर्क में आने से फैलने वाला संक्रमण है, जो सघन रहवासी क्षेत्र में अधिक फैलता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर पी.एस.एल्मा ने जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग को इस संक्रमण की रोकथाम के लिए जिले के शाला-आश्रम में जरूरी सावधानी बरतने के निर्देश दिए है। वैसे अधिकांश समय यह समस्या सामान्य उपचार से ठीक हो जाती है। चूंकि आंख सबसे संवेदनशील अंग है, इसलिए इसे विशेष देखभाल की जरूरत होती है। एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस के कारण खुजली, आंखों से पानी आना और सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जी.आर. टंडन ने बताया कि कंजंक्टिवाइटिस एक संक्रामक रोग है जो संपर्क से फैलता है, इसलिए रोगी को अपनी आँखों को न छूने की सलाह दी जाती है। मरीज द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली चीजों को अलग रखकर इस बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। यह धारणा कि संक्रमित आंख को देखने से बीमारी फैल सकती है, एक मिथक है। यह बीमारी संपर्क से ही फैलती है।
इसके लक्षण:– आंखें लाल हो जाती हैं, पानी आने लगता है और जलन होने लगती है। पलकों पर पीला और चिपचिपा द्रव जमा होने लगता है। आंखों में चुभन के साथ सूजन भी हो जाता है। इसके सबसे आम तौर पर दिखने वाले लक्षण आंखों से पानी आना और खुजली होना है। यदि संक्रमण अधिक गंभीर है, तो आंखों के कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है, जिससे दृष्टि प्रभावित हो सकती है।
मानसून के मौसम में बच्चों को आई फ्लू होने का खतरा अधिक होता है। उन्होंने कहा कि आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आंखों को साफ रखें और बार-बार ठंडे पानी से धोएं। किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। अगर आप कंजंक्टिवाइटिस से पीड़ित हैं तो अपनी आंखों को बार-बार न छुएं। अपनी आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले अपने हाथ अच्छी तरह से धो लें। आंखों पर बर्फ लगाने से जलन और दर्द से राहत मिलती है। संक्रमण के दौरान गंदी और भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनके सामान जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि को न छुएं। साथ ही अपना तौलिया, रुमाल, चश्मा आदि किसी के साथ साझा न करें। अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो समस्या का समाधान प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
आंखों से संबंधित किसी भी समस्या के मामले में गंभीर स्थिति से बचने के लिए किसी नेत्र विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दी जाती है। मेडिकल कॉलेजों, जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में आंखों की जांच और उपचार की सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध हैं।