भारत के लिए रेलवे उसकी रीढ़ की हड्डी जैसा है. देश के एक इलाके से दूसरे इलाके तक आसान और किफायती तरीके से पहुंचने में रेलवे बहुत मददगार साबित होता है. कई ऐसे अनोखे रेलवे स्टेशन हैं जिनके बारे में कई चीजें काफी अलग और अजीबोगरीब हैं. ऐसा ही एक अनोखा रेलवे स्टेशन राजस्थान में है. इस स्टेशन को सिर्फ गांव (Railway station run by villagers) के लोग ही चलाते हैं. वही इसकी देखरेख करते हैं. हैरानी इस बात की है कि इस स्टेशन पर एक भी रेलवे का कर्मचारी नहीं है.

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोरा पर कुछ वक्त पहले एक सवाल पूछा गया- “भारत का वो कौन सा रेलवे स्टेशन है जिसे गांव वाले मिलकर चलाते है?” जवाब कई लोगों को शायद नहीं पता होगा. तो चलिए आपको फटाफट बता देते हैं कि लोगों ने इसके बारे में क्या उत्तर दिया. आजम अली नाम के एक शख्स ने कहा- “राजस्थान के जालसू नानक रेलवे स्टेशन एक ऐसा रेलवे स्टेशन है जिसको खुद ग्रामीण चलाते हैं. इस रेलवे स्टेशन की शर्त ये है कि इसे महीने में 1500 टिकट बेचना जरूरी क्योंकि ये रेलवे की शर्त है. राजस्थान में नागौर का जालसू नानक रेलवे स्टेशन, देश का पहला रेलवे स्टेशन है, जहां कोई रेलवे अधिकारी या कर्मचारी नहीं है. फिर भी यहां 10 से ज्यादा ट्रेनें रुकती हैं.”

indian railway station run by villagers

राजस्थान में है ये गांव

ऊपर दिया गया जवाब पूरी तरह सही है. जालसू नानक हॉल्ट रेलवे स्टेशन (Jalsu Nanak Halt Railway Station) राजस्थान के नागौर (Nagaur, Rajasthan) जिले से करीब 80 किलोमीटर दूर है. यही देश का सबसे अनोखा स्टेशन है जिसे रेलवे कर्मी नहीं, बल्कि गांव वाले चलाते हैं. यहां पर गांव वाले टिकट बेचते हैं, स्टेशन की देखरेख करते हैं, और हर तरह का काम देखते हैं. साल 2022 की द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार इन ग्रामीणों ने ऐसा 17 सालों तक किया है, पर अब वो रेलवे को स्टेशन का कार्यभार लौटाना चाहते हैं.

गांववालों ने किया स्टेशन का रखरखाव

आपको बता दें कि जालसू नानक हॉल्ट रेलवे स्टेशन की शुरुआत 1976 में हुई थी जिससे सिपाहियों के मूवमेंट और उनके परिवार को सहूलियत मिल सके. रेलवे स्टेशन के पास मौजूद 3 गांव थे, जहां अधिकतर लोग सेना में थे. साल 2005 में रेलवे ने इस स्टेशन को बंद कर दिया था. इस वजह से गांव वालों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया. रेलवे ने एक कंडीशन रख दी. उन्होंने कहा कि गांव वाले रेलवे स्टेशन को मैनेज कर सकते हैं, पर उन्हें 1500 टिकट हर महीने बेचने पड़ेंगे. गांवा वालों ने इस वजह से स्टेशन को चलाया जिससे देश की सुरक्षा में लगे जवानों को किसी तरह की समस्या न पैदा हो.

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