Banks sharing personal activities with Facebook: भारत में वैसे तो उपभोक्ता की निजता से खिलवाड़ बड़ी बड़ी दिग्गज कंपनियों के लिए एक आम बात है लेकिन एक एक्सक्लूसिव पड़ताल में सामने आया है की इस खिलवाड़ में देश की कई निजी बैंक और सरकारी ऐप्स भी शामिल हैं. सबसे पहले आपको निजी बैंक और उनके द्वारा फेसबुक को दी जा रही आपकी निजी जानकारी के बारे में बताते हैं.
बैंक किन जानकारियों को फेसबुक से करते हैं शेयर
फेसबुक द्वारा 24X7 किसी यूजर पर निगरानी रखने के मामले की जब जाँच पड़ताल हो रही थी तब हमारे सामने आया कि देश की कई दिग्गज प्राइवेट बैंक जैसे ICICI बैंक, AXIS बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक आपने यूजर की निजी गतिविधियां (Personal App Activity) फेसबुक के साथ साझा करती हैं. आप इन प्राइवेट बैंक की आधिकारिक एप्लिकेशन को कब ओपन करते हैं, प्राइवेट बैंक की आधिकारिक एप्लिकेशन से क्या खरीदते हैं, कहां दान देते हैं, जैसी अन्य उपभोक्ताओं की निजी एक्टिविटी खुद बिना यूजर की जानकारी के फेसबुक के साथ साझा कर रही हैं.
क्या आप भी इस्तेमाल करते हैं इन बैंकों के ऐप्स?
अगर आप भी इन तीन बड़ी प्राइवेट बैंक के ग्राहक हैं और उनकी आधिकारिक एप्लिकेशन जैसे ICICI बैंक की iMobile Pay “App”, Axis बैंक की Axis Pay Mobile Invest & UPI “APP” और Kotak Mahindra बैंक की Kotak 811– Mobile Banking “App का प्रयोग करते हैं और आपके फोन में फेसबुक का भी ऐप मौजूद है तो आप फेसबुक की Settings में जाकर Off Facebook Activity पर यह देख सकते हैं कि ये प्राइवेट बैंक की आधिकारिक एप्लिकेशन फेसबुक के साथ आपकी निजी गतिविधियां जिसे आप इन बैंक की ऐप्स के उपयोग करने के दौरान करते हैं उसे फेसबुक के साथ साझा कर रही हैं.
बैंक क्यों शेयर करते हैं आपकी निजी गतिविधियां
फेसबुक के साथ देश की इन 3 दिग्गज प्राइवेट बैंक द्वारा अपने यूजर्स की निजी जानकारी साझा करने के जब कारणों की जाँच पड़ताल की तो पता चला की ये सारा खेल बैंको की ऐप के विज्ञापन का है, जिसमें साझा यूजर का डाटा होता है. फेसबुक के मुताबिक, ये बैंकिंग ऐप्स उसके साथ अपने यूजर की बेकिंग ऐप पर एक्टिविटी इसलिए साझा करती हैं क्योंकि इन बैंकिंग ऐप्स की कंपनियां फेसबुक के बिजनेस टूल का इस्तेमाल करती हैं और फेसबुक के मुताबिक बिजनेस टूल का इस्तेमाल वो कंपनियां करती हैं जो फेसबुक पर अपना विज्ञापन करवाती हैं. साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे के मुताबिक बैंक और फेसबुक का यह खेल कुछ ऐसा है जिसमें पुराने यूजर की निजी गतिविधियां फेसबुक के साथ साझा करके बैंक अपने लिए नया ग्राहक ढूंढती हैं.
बैंकों ने जवाब देने से किया इनकार
जब जाँच की टीम ने फेसबुक के बिजनेस टूल की गहन पड़ताल की तो सामने आया कि उसकी terms and conditions में साफ साफ लिखा है कि अगर कोई कंपनी फेसबुक के बिजनेस टूल का इस्तेमाल विज्ञापन के लिए करती है तो उसे अपने यूजर की निजी गतिविधि जो यूजर कंपनी की वेबसाइट और ऐप पर देता है उसे फेसबुक के साथ साझा करना पड़ेगा. इस मामले पर जब ज़ी न्यूज़ ने इन तीनों निजी बैंकिंग कंपनियों ICICI बैंक, AXIS बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक से सवाल किया और जानना चाहा कि क्यों लाखों उपभोक्ताओं वाली ये बैंक बिना अपने उपभोक्ताओं को बताए बैंक की आधिकारिक ऐप पर की गई निजी गतिविधियों को फेसबुक के साथ साझा कर रही हैं, तो लगातार 3 दिनों तक बार-बार ईमेल के जरिए रिमाइंडर भेजने और व्हाट्सएप और कई फोन कॉल पर इनके प्रवक्ताओं से बातचीत के बाद भी किसी कंपनी ने सामने आकर जवाब देना उचित नहीं समझा.
जानकारी शेयर करने में सरकारी ऐप्स भी नहीं हैं पीछे
वैसे फेसबुक को अपने यूजर्स की निजी गतिविधि देने ने सरकारी ऐप्स भी पीछे नहीं है. भारत सरकार के आईटी मंत्रालय द्वारा डेवलप की गई उमंग ऐप भी जाँच की एक्सक्लूसिव पड़ताल में फेसबुक के साथ अपने उपभोक्ताओं की उसकी ऐप पर निजी गतिविधियां साझा करती हुई पाई गई.
मामले पर फेसबुक ने दी सफाई
हालांकि, मामले पर सिर्फ फेसबुक ने अपना पक्ष रखा और हमें बताया कि कोई भी कंपनी अपने विज्ञापन के लिए फेसबुक के साथ अपने यूजर की एक्टिविटी साझा करती है कि उस कंपनी का यूजर कंपनी की ऐप या फिर वेबसाइट पर क्या कर रहा है. इससे यूजर का एक्सपीरियंस बेहतर होता है. साथ ही फेसबुक के मुताबिक, किसी ऐप द्वारा फेसबुक को दी गई उसके यूजर्स की जानकारियों को फेसबुक किसी तीसरे पक्ष को नहीं बेचता और ये जानकारियां बिलकुल सुरक्षित रहती है.
भारत में डाटा प्रोटेक्शन कानून का अभाव
साइबर कानून के विशेषज्ञ पवन दुग्गल के मुताबिक, भारत में डाटा प्रोटेक्शन कानून ना होने के अभाव में निजी बैंक और फेसबुक के बीच बिना यूजर की मर्जी के गतिविधियों की लेनदेन का कारोबार चल रहा है. ऐसे में जब तक भारत में डाटा प्रोटेक्शन संबंधी कोई कानून नहीं आ जाता तब असंभव है कि इसे रोका जाए. वहीं देश के जाने माने साइबर विशेषज्ञ अमित दुबे के मुताबिक, आज यूजर के डेटा को अन्य ऐप्स से लेनदेन की वजह से फेसबुक यूजर्स को वो सब कुछ बेंच रहा है जो यूजर को लगता है कि उसने खरीदा है. कल को कोई बड़ी बात नहीं होगी कि जैसे फेसबुक आज तय करता है की उपभोक्ता क्या खरीदेगा, वैसे ही फेसबुक तय करे कि किसी देश का प्रधानमंत्री कौन बनेगा.