गुजरात चुनाव [ News T20 ] | गुजरात की चुनावी जंग में भाजपा को सत्ता बरकरार रखने के लिए दोहरा मोर्चा साधना पड़ रहा है। एक तरफ प्रमुख प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस से जमीनी लड़ाई लड़नी पड़ रही तो वहीं ‘आप’ के बड़े दावों और वादों को लेकर किए जा रहे प्रचार अभियान से जूझना पड़ रहा है। हालांकि, राज्य में मजबूत विपक्ष न होने का लाभ भाजपा को मिल सकता है।

पार्टी की रणनीति के केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह हैं। दोनों नेता बीते छह महीने से राज्य की एक-एक सीट की सूक्ष्म रणनीति से जुड़े रहे हैं। नेतृत्व को लेकर भाजपा कांग्रेस और ‘आप’ दोनों पर भारी है, पर 1995 से लगातार सत्ता पर काबिज भाजपा की सीटें 2002 के बाद से हर चुनाव में घटी हैं। 2017 में वह बहुमत के आंकड़े 92 से महज सात सीटें ज्यादा ही जीत पाई थी।

इस बीच कांग्रेस से कई नेता पार्टी में शामिल भी हुए हैं। पिछली बार के पाटीदार आंदोलन, जीएसटी जैसा मुद्दा भी इस बार नहीं है। ऐसे में अंदरूनी नाराजगी घातक हो सकती है। यही वजह है कि भाजपा की रणनीति में एक-एक मतदाता शामिल है व वह उन तक पहुंच रही है। भाजपा ने बीते साल ही गुजरात की रणनीति पर अमल शुरू कर दिया था। कोरोना काल के दौरान जनता की नाराजगी को खत्म करने के लिए पूरी सरकार को ही बदल दिया था। इसके बाद से सत्ता विरोधी माहौल की काट के हिसाब से कदम उठाए जा रहे हैं।

कांग्रेस और ‘आप’ दोनों को कमजोर करने में जुटी –

भाजपा इस बार सौराष्ट्र और पंचमहल के आदिवासी क्षेत्रों पर ज्यादा काम कर रही है। यहां पार्टी को पिछली बार नुकसान हुआ था। कांग्रेस और ‘आप’ दोनों से निपटने के लिए भाजपा इस बार शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग-अलग ढंग से काम कर रही है।

मोदी के लिए चुनाव अहम –

गुजरात प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। यही वजह है कि लगभग छह महीने पहले जब यूपी समेत पांच विधानसभाओं का चुनावों के परिणाम भी नहीं आए थे, तब मोदी ने गुजरात का मोर्चा संभाल लिया था। तब से अब तक मोदी दर्जनों बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं।

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