Story of Ronald Edwin Hunkeler: ‘द एक्सोरसिस्ट: बिलीवर’ मूवी 6 अक्टूबर को दुनियाभर के सिनेमा घरों में रिलीज हुई. यह फिल्म 1973 की हॉरर मूवी ‘द एक्सोरसिस्ट’ का सीक्वल है, जिसमें एक लड़की के अपनी गर्दन को चारों ओर घूमने जैसे खौफनाक सीन थे. कई सालों तक इस फिल्म ने लोगों को भयभीत किया था. अब नई फिल्म के मेकर्स को भी ऐसी ही उम्मीदें हैं. हालांकि, कई सिनेमा प्रेमियों को पता नहीं होगा कि यह फिल्म रोंगटे खड़े कर देने वाली एक लड़के की सच्ची कहानी से प्रेरित है.
एक रिपोर्ट के अनुसार- उस लड़के का नाम रोलैंड डो था, जिसकी स्टोरी सबसे पहले द वॉशिंगटन पोस्ट में पब्लिश हुई थी. इसके बाद 1971 में उसकी कहानी पर ‘द एक्सोरसिस्ट’ नाम से एक उपन्यास छपा, जिस पर 1973 में फिल्म बनीं. हालांकि इन दोनों ही कहानियों में रेगन मैकनील नाम की एक लड़की पर भूतिया साया था. लेकिन जिस असली बच्चे को वास्तव में भूतों के साए से मुक्त किया गया था, उसका नाम रोनाल्ड एडविन हंकेलर था.
हंकेलर आगे चलकर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा में एक इंजीनियर बने. उनके काम ने 1960 के दशक में अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर लैंड करने में मदद की थी. हालांकि, बचपन में उन पर भूत प्रेतों का साया रहा. वह जब 13 साल के थे, तब उन पर 20 भूत-प्रेतों का साया था. उनका अजीब व्यवहार तब सामने आया जब उन्होंने अपनी मरी हुई चाची से संपर्क करने की कोशिश की.
लेकिन यह सिर्फ घर पर नहीं था जहां विचित्र चीजें घटित हो रही थीं. स्कूल में हंकेलर के क्लासमेट ने कहा, ‘डेस्क बहुत तेजी से हिल रही थी और मुझे याद है कि टीचर ने उसे रुकने के लिए चिल्लाया था और मुझे याद है कि उसने जवाब में चिल्लाया था, ‘मैं यह नहीं कर रहा हूं!’
इससे परेशान उनके पेरेंट्स ने भूत-प्रेतों को भगाने वाले कैथोलिक पादरियों से संपर्क किया. पादरी रेमंड बिशप ने बाद में अपनी डायरी में लिखा कि जब लड़का करीब था, तो फर्नीचर हिलता था और वस्तुएं ऊपर उठती थीं. वह भूत भगाने की प्रक्रिया के दौरान भी भयानक आवाज में बोलता था. कथित तौर पर कई महीनों की झाड़-फूंक के बाद हंकेलर का शरीर भूत से मुक्त हो पाया. गौरतलब है कि 85 साल की उम्र में रोनाल्ड एडविन हंकेलर की साल 2020 में मृत हुई.