नई दिल्ली. पिछले कुछ समय में रिज़र्व बैंक ने रेपो रेट को कई बार बढ़ाया है. रॉयटर्स ने अर्थशास्त्रियों से इस बारे में एक पोल करवाया है कि क्या रिज़र्व बैंक इस बढ़ोतरी को आगे भी जारी रख सकता है. इसमें ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि RBI दिसम्बर में ब्याजदरों में फिर से 35 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर इसे 6.25 फीसदी कर देगा.
रिजर्व बैंक का यह कदम अगले साल की शुरुआत में मुद्रास्फीति के दबाव को रोकने के लिए एक और मामूली प्रयास होगा. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि रिज़र्व बैंक के लिए अभी मुद्रास्फीति पर नज़र रखना जल्दबाजी होगी. क्योंकि अक्टूबर में यह 6.77% तक कम हो गई थी, जो पूरे वर्ष आरबीआई के 2-6% टॉलरेंस बैंड से ऊपर रही. अगर आरबीआई रेपो रेट में यह वृद्धि करता है तो निश्चित तौर पर आपकी ईएमआई भी बढ़ जाएगी और कर्ज महंगा हो जाएगा.
क्या है एक्सपर्ट का अनुमान
रॉयटर्स द्वारा 22-30 नवंबर के बीच कराए गए पोल में कुल 52 अर्थशास्त्रियों ने हिस्सा लिया. इनमें से 37 यानी 60 प्रतिशत से ज्यादा अर्थशास्त्रियों का कहना है कि आरबीआई अपनी 5-7 दिसंबर को होने वाली पॉलिसी मीटिंग में अपनी प्रमुख रेपो रेट को 35 बेसिक पॉइंट्स से बढ़ाकर 6.25% कर देगा. 11 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि RBI 50 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी जारी रखेगी, जबकि अन्य 8 अर्थशास्त्री 25 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी के पक्ष में है.
आगामी वर्ष में मुद्रास्फीति कम होने का अनुमान
RBI की फरवरी में होने वाली पॉलिसी मीटिंग में 52 अर्थशास्त्रियों में से आधों का मानना है कि कोई वृद्धि नहीं होगी, वहीं बाकी 25 बेसिक पॉइंट्स की बढ़ोतरी के पक्ष में है. सर्वेक्षण में यह उम्मीद भी दिखाई गई है कि 31 मार्च को समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए मुद्रास्फीति औसत 6.7% होगी, और फिर वित्त वर्ष 2023-24 में 5.2% तक गिर जाएगी.
भारत की विकास दर 6-7 प्रतिशत रहने का अनुमान
जुलाई-सितंबर के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो आरबीआई के अपने पूर्वानुमानों से मेल खाती है. वहीं इससे अलग एक प्रश्न का उत्तर देते हुए अर्थशास्त्रियों ने अगले 2-3 वर्षों के लिए भारत की संभावित आर्थिक विकास दर 6-7 प्रतिशत आंकी है. वे इस वित्तीय वर्ष और अगले क्रमशः वार्षिक विकास दर औसतन 6.8 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत होने का अनुमान है.