आपने इंसानों की अंतिम यात्रा तो जरूर देखी होगी — जहां परिजन अपने प्रियजन को श्मशान या कब्रिस्तान तक लेकर जाते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि चीटियां भी अपने मृत साथियों का अंतिम संस्कार करती हैं?
जी हां! चीटियों की दुनिया में भी एक खास “कब्रिस्तान रिवाज” होता है, जहां वे मर चुकी चीटियों को कॉलोनी से बाहर ले जाकर एक निश्चित जगह पर जमा करती हैं।

चीटियों का कब्रिस्तान क्या है? | What Is an Ant Cemetery?

चीटियों के समाज में यह व्यवहार बिल्कुल संयोग नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसे “नेक्रोफोरेसिस (Necrophoresis)” कहा जाता है।
जब कॉलोनी में कोई चीटी मर जाती है, तो उसकी देह से एक विशेष रासायनिक संकेत (Oleic Acid) निकलता है, जो बाकी चीटियों को यह बताता है कि उनके साथी की मृत्यु हो चुकी है।

इसके बाद मजदूर चीटियां (Worker Ants) मृत चीटी को जबड़ों से पकड़कर कॉलोनी से बाहर ले जाती हैं
वे उसे किसी भी जगह नहीं छोड़तीं, बल्कि एक खास पॉइंट पर जमा करती हैं — यही “Ant Cemetery” यानी चीटियों का कब्रिस्तान कहलाता है।

 कैसे पहचानती हैं चीटियां अपने मृत साथी को?

जब कोई चीटी मरती है, तो उसकी बॉडी से ओलेइक एसिड (Oleic Acid) निकलने लगता है।
यह रसायन चीटियों के लिए “मौत की गंध” का संकेत होता है।
चीटियां इस गंध को सूंघते ही सक्रिय हो जाती हैं और मृत चीटी को उठाकर बाहर ले जाने लगती हैं।
रास्ते में और भी चीटियां जुड़ जाती हैं — बिल्कुल वैसे ही जैसे इंसानों की अंतिम यात्रा में लोग शामिल होते हैं।

क्यों जरूरी होती है यह प्रक्रिया?

एक कॉलोनी में लाखों चीटियां रहती हैं।
अगर मृत शरीर वहीं छोड़ दिया जाए तो वह जल्दी सड़ सकता है और फंगस या बैक्टीरिया के जरिए पूरी कॉलोनी में बीमारी फैला सकता है।
इसी खतरे से बचने के लिए चीटियां मृत साथियों को हटाकर एक जगह जमा कर देती हैं, ताकि उनकी कॉलोनी सुरक्षित रहे।

वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आदत करीब 1 करोड़ साल पुरानी है।
कुछ कॉलोनियों में तो “अंडरटेकर चीटियां (Undertaker Ants)” नाम की स्पेशल चीटियां होती हैं, जो सिर्फ इसी काम के लिए प्रशिक्षित होती हैं।

चीटियों की यह अनोखी दुनिया देती है सबक

चीटियों का यह व्यवहार दिखाता है कि प्रकृति में अनुशासन और संवेदनशीलता कितनी गहराई से जुड़ी हुई है।
वे सिर्फ मेहनती नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से जिम्मेदार प्राणी भी हैं, जो अपने समुदाय की सुरक्षा और सम्मान दोनों का ध्यान रखती हैं।

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