ग्लोबल ट्रेड वॉर के बीच एल्युमीनियम बना रणनीतिक धातु

रायपुर। वैश्विक व्यापार युद्ध (Global Trade War) के इस दौर में भारत के पास एक दुर्लभ अवसर है कि वह दुनिया का एल्युमीनियम हब बनकर उभरे। वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने एल्युमीनियम की रणनीतिक भूमिका को रेखांकित करते हुए सरकार से नीतिगत समर्थन की अपील की है।

अमेरिका के टैरिफ ने बढ़ाई वैश्विक हलचल

अनिल अग्रवाल ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर 25% टैरिफ लगाने के फैसले से ग्लोबल मार्केट में भारी असंतुलन आ गया है। इसके जवाब में भारत ने भी स्टील पर 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगाकर घरेलू उद्योग की रक्षा की है।

‘‘अब एल्युमीनियम के लिए भी जरूरी है सेफगार्ड’’

अग्रवाल ने कहा, “मैं सरकार द्वारा स्टील पर सेफगार्ड ड्यूटी लगाने की सराहना करता हूं और उम्मीद करता हूं कि एल्युमीनियम के लिए भी जल्द ही इसी तरह का कदम उठाया जाएगा।” उन्होंने बताया कि एल्युमीनियम की हल्की, टिकाऊ और रिसायकल योग्य प्रकृति इसे रणनीतिक रूप से और भी महत्वपूर्ण बना रही है।

एयरपोर्ट से लेकर मोबाइल तक, हर क्षेत्र में बढ़ा एल्युमीनियम का दखल

अग्रवाल ने कहा, “चाहे हवाई अड्डे हों, रेलवे हो, ऑटोमोबाइल या मोबाइल फोन — आधुनिक अर्थव्यवस्थाएं एल्युमीनियम और स्टील पर टिकी हैं, लेकिन एल्युमीनियम का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है।” भारत के पास वास्तविक वैश्विक नेतृत्व की क्षमता है, क्योंकि यहां बॉक्साइट भंडार बहुतायत में उपलब्ध है।

भारत बन सकता है वैश्विक एल्युमीनियम राजधानी

उन्होंने अपनी पोस्ट में एक विजुअल शेयर करते हुए बताया कि भारत ऑस्ट्रेलिया, गिनी और चीन जैसे अग्रणी बॉक्साइट उत्पादक देशों के बराबर खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत को यह अवसर नहीं गंवाना चाहिए और घरेलू एल्युमीनियम उद्योग को प्राथमिकता देते हुए वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक डेस्टिनेशन बनना चाहिए।

वेदांता एल्युमीनियम कर रहा भारी निवेश

वेदांता एल्युमीनियम ने रिफाइनिंग और स्मेल्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में बड़ा निवेश किया है और इस परिवर्तन में सबसे आगे है। अग्रवाल का मानना है कि अगर सरकार उपयुक्त नीतियां अपनाती है तो भारत धातु एवं मैन्युफैक्चरिंग के भविष्य में एक प्रमुख वैश्विक ताकत बन सकता है।

Share on

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *