Poland dwarf skeleton: पोलैंड में आर्कियोलॉजिस्ट्स को एक कब्रिस्तान की खुदाई के दौरान मध्ययुगीन शख्स के अवशेष पाए गए थे. जिनसे उसमें 2 प्रकार के दुर्लभ बौनेपन होने का पता चलता है. अब वैज्ञानिकों ने उस 1,000 साल पुराने शख्स के कंकाल की मदद से उसके चेहरे को फिर से डिजिटल रूप से बनाया है. साइंटिफिक हिस्ट्री में ऐसा पहली बार किया गया है.
कब मिले थे ये अवशेष?:
एक रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में पोलैंड में मिले एक मध्ययुगीन शख्स के अवशेषों का वैज्ञानिक इतिहास में पहली बार पुनर्निर्माण किया गया है. लेक्नो (Lekno) के एक कब्रिस्तान में पाई गई हड्डियां के बारे में कार्बन डेटिंग से पता चला कि वे नौवीं और 11वीं शताब्दी के बीच की थीं. ऐसा माना जाता है कि वे जिस इंसान की थीं, उसमें दो दुर्लभ प्रकार के बौनेपन थे, जिन्हें एकॉन्ड्रोप्लासिया और एलडब्ल्यूडी कहा जाता है.
एक ही शख्स में दो प्रकार के बौनेपन होना केवल 0.1% लोगों में होता है. उसके चेहरे को अब फिर से बनाया गया है और लगभग 1,000 सालों में पहली बार देखा गया है, जब उसकी खोपड़ी का इस्तेमाल साइंटिफिकली उसकी मौजूदगी को फिर से बनाने के लिए किया गया था. स्टडी के मुख्य लेखक सिसरो मोरेस के अनुसार, यह पहली बार है कि इस तकनीक को किसी बौने पर लागू किया गया है.
महज 114 सेमी लंबा था वो बौना
वह मध्ययुगीन शख्स, जिसे उसकी पुरातात्विक संख्या Ł3/66/90 से जाना जाता है, लगभग 115 सेमी लंबा था, और जब उसकी मृत्यु हुई तो उसकी उम्र 30 से 45 वर्ष रही होगी. पोलैंड की एडम मिकीविक्ज़ यूनिवर्सिटी (Adam Mickiewicz University) के मार्टा क्रेंज-नीडबाला और सिल्विया लुकासिक भी सिसरो मोरेस के साथ स्टडी के सह-लेखक हैं. उन्होंने मघ्ययुगीन शख्स की खोपड़ी के डिजीटल मॉडल का इस्तेमाल करके उसके चेहरे को फिर से बनाया गया है.
कैसे बनाया गया शख्स का चेहरा?
मोरेस ने समझाया, ‘शॉफ्ट टिशूज् को डिजिटलीकृत खोपड़ी की सतह पर फैलाया गया था. नाक, कान, होंठ और अन्य जैसी अन्य संरचनाओं के आकार को जानने के लिए हमने जीवित लोगों के सीटी स्कैन में किए गए माप के आधार पर अनुमानों की एक सीरीज बनाई. हमने एक जीवित व्यक्ति की टोमोग्राफी भी इम्पोर्ट की, जिसकी खोपड़ी की सरंचना को Ł3/66/90 खोपड़ी बनने तक एडजस्टेड किया गया था, शॉफ्ट टीशूज् को भी मॉडिफाइड किया गया था.