
रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने सख्त कार्रवाई करते हुए 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह घोटाला लगभग 7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है, जिसमें तेंदूपत्ता संग्राहकों को मिलने वाली बोनस राशि में हेराफेरी कर निजी स्वार्थों में उपयोग किया गया।
26 जून को कोर्ट में पेशी, 30 जून तक पुलिस रिमांड पर भेजे गए
EOW ने सभी आरोपियों को 26 जून 2025 को रायपुर स्थित विशेष अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 30 जून तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया। इस दौरान पुलिस घोटाले से जुड़े वित्तीय दस्तावेज़, भुगतान रिकॉर्ड और खातों की गहन जांच करेगी।

अधिकारियों और समितियों की मिलीभगत से हुआ गबन
जांच में यह खुलासा हुआ है कि 2021 और 2022 के बीच तत्कालीन वनमंडलाधिकारी अशोक कुमार पटेल ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य विभागीय अधिकारियों, प्राथमिक लघु वनोपज समितियों के प्रबंधकों व पोषक अधिकारियों के साथ मिलकर संग्राहकों के नाम पर फर्जी दस्तावेज बनाकर करोड़ों का गबन किया।
❗ घोटाले में इस्तेमाल हुए फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी भुगतान आदेश, और मनगढ़ंत संग्राहक सूची ईओडब्ल्यू की जांच का अहम हिस्सा हैं।
दर्ज हुआ आपराधिक मामला, IPC की गंभीर धाराएं लागू
EOW ने इस मामले में आपराधिक षड्यंत्र (IPC 120B) और विश्वासघात (IPC 409) के तहत अपराध क्रमांक 26/2025 दर्ज किया है। मामले में शामिल सभी लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
गिरफ्तार किए गए आरोपी – ये हैं गबन के मुख्य पात्र
EOW द्वारा गिरफ्तार किए गए 11 आरोपियों के नाम इस प्रकार हैं:
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पोड़ियामी इशिमा
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आयूब कोरसा
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चैतूराम बघेल
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मनीष बर्से
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देवनाथ भारद्वाज
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सी.एच. रमन
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सुनील उप्पो
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रवि कुमार
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मो. शरीफ
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मनोज कावासी
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सत्यनारायण
इन सभी से पूछताछ जारी है और आगे और गिरफ्तारियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।
यह घोटाला क्यों है गंभीर?
छत्तीसगढ़ के लाखों आदिवासी परिवार तेंदूपत्ता संग्रहण पर निर्भर करते हैं। ऐसे में उनके बोनस की राशि में घोटाला आर्थिक और सामाजिक दोनों रूपों में अपराध है। अब जनता की नजरें इस बात पर हैं कि सरकार दोषियों को क्या सजा दिला पाती है।
