
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ – सरकारी नौकरी के नाम पर रिश्वतखोरी के खिलाफ छत्तीसगढ़ पुलिस ने पहली बार ऐतिहासिक कदम उठाया है। बिलासपुर जिले में एक व्यक्ति ने अपने बच्चों को सरकारी पदों पर भर्ती करवाने के लिए 43 लाख रुपये की रिश्वत दी थी। जब नौकरी नहीं मिली और रकम भी वापस नहीं की गई, तो उसने खुद ही पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। हैरानी की बात यह है कि इस केस में रिश्वत देने वाले सूर्यकांत जायसवाल और रिश्वत लेने वाले दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की गई है।
सबसे पहले जानिए क्या है पूरा मामला
सूर्यकांत जायसवाल ने अपने दो बेटों और एक बेटी को फूड इंस्पेक्टर, हास्टल अधीक्षक और पटवारी बनाने के लिए 8 फरवरी 2022 से 5 जून 2023 के बीच 43 लाख रुपये की मोटी रकम तीन लोगों – अनीश राजपूत, विष्णु राजपूत और जावेद खान – को अलग-अलग किस्तों में दी। नौकरी न लगने पर जब रकम वापस नहीं मिली, तो उन्होंने पुलिस थाने में शिकायत की।

बिलासपुर के एसएसपी रजनेश सिंह (IPS) ने तत्काल मामले की जांच के आदेश दिए। जांच में आरोप सही पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कर तीनों आरोपियों को जेल भेजा गया।
रिश्वत देने वाले पर भी दर्ज हुआ अपराध
एफआईआर में पुलिस ने लिखा है कि सूर्यकांत जायसवाल ने खुद भी कानून की प्रक्रिया को दरकिनार कर गलत तरीके से शासकीय पद प्राप्त करने की कोशिश की। यह न केवल शासन के साथ बल्कि उन प्रतिभागियों के साथ भी धोखा है, जो कड़ी मेहनत से परीक्षा देकर पद प्राप्त करते हैं।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई – आरोपी गिरफ्तार
तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल रिमांड पर जेल भेजा गया है। वहीं एक अन्य आरोपी जावेद खान उर्फ राजा, पहले से ही एक अन्य धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की सूची:
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विष्णु प्रसाद राजपूत, उम्र 67 – निवासी निगारबंद, थाना तखतपुर
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सीमा सोनी, उम्र 29 – निवासी विनोबा नगर, थाना सिविल लाइन
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सूर्यकांत जायसवाल, उम्र 55 – निवासी बरेला, थाना जरहागांव, वर्तमान निवास नेचर सिटी, सकरी
इस मामले से क्या संदेश मिलता है?
यह मामला छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ पहली सख्त कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। पहली बार किसी मामले में रिश्वत लेने और देने वाले दोनों को कानूनी रूप से जवाबदेह ठहराया गया है।
