
कोर्ट ने कहा- “भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा देने वाला कृत्य, जिससे जनता का विश्वास कमजोर होगा”
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (CGMSC) में हुए बहुचर्चित 341 करोड़ रुपये के रीएजेंट घोटाले के मास्टरमाइंड मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका मिला है। उनकी जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए खारिज कर दिया है।
कोर्ट की सख्त टिप्पणी:
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच ने कहा—

“यह केवल आर्थिक घोटाला नहीं बल्कि समाज के स्वास्थ्य और कल्याण के खिलाफ किया गया अपराध है।”
“ऐसे मामलों में जमानत देने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और न्याय प्रणाली में जनता का भरोसा डगमगाएगा।”
क्या है CGMSC रीएजेंट घोटाला?
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मोक्षित कॉर्पोरेशन ने मिलीभगत कर कम कीमत पर टेंडर लिया और फिर तीन गुना कीमत पर मेडिकल सामग्री सप्लाई की।
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8 रुपए की क्रीम को 23 रुपए में बेचा गया।
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मशीनों को पूरे राज्य के हॉस्पिटलों में इंस्टॉल करना था लेकिन कुछ जगहों पर मशीनें इंस्टॉल ही नहीं हुईं या लॉक कर दी गईं।
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लगभग 95 लाख के रीएजेंट बर्बाद हुए और शासन को 400 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।
शशांक चोपड़ा पर लगे आरोप:
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भ्रष्ट अधिकारियों को 0.2-0.5% कमीशन दिया गया।
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आईपीसी की धारा 409, 120बी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(A), 13(2), 7(C) के तहत केस दर्ज।
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EOW और ACB की संयुक्त जांच में अफसरों की मिलीभगत सामने आई।
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शशांक को न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया है और अब हाईकोर्ट से जमानत भी खारिज हो गई है।
हाईकोर्ट ने कहा:
“प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में मरीज भर्ती नहीं हो पा रहे। यह आम नागरिकों के जीवन को सीधा नुकसान पहुंचाता है।”
