बस्तर की लाइफलाइन NH-30 पर केशकाल घाट के विकल्प के रूप में बनने वाली फोर-लेन बाइपास सड़क 7 साल से ठप, ठेकेदार भागा—फाइल दिल्ली की स्क्रीनिंग कमेटी में अटकी
नेशनल हाईवे-30 का 266 करोड़ का बाइपास प्रोजेक्ट अधूरा
बस्तर की जीवन रेखा कहे जाने वाले नेशनल हाईवे क्रमांक 30 पर केशकाल घाट के विकल्प के रूप में बनने वाली 266 करोड़ रुपये की फोरलेन बाइपास सड़क पिछले 7 वर्षों से अधूरी पड़ी है।
राजमार्ग विभाग को प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए दिल्ली स्थित स्क्रीनिंग कमेटी की अनुमति का इंतजार है, लेकिन 6 महीने बाद भी फाइल आगे नहीं बढ़ी है।
7 साल में सिर्फ 2.5 किलोमीटर काम, ठेकेदार छोड़कर भागा
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कुल लंबाई: 11.38 किमी
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प्रोजेक्ट की शुरुआत: 7 साल पहले
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ठेकेदार: वालेचा कंस्ट्रक्शन (मुंबई)
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सब-लेट किया गया: श्रीराम कंस्ट्रक्शन (चेन्नई)
श्रीराम कंस्ट्रक्शन कंपनी ने केवल 2.5 किमी अर्थवर्क करने के बाद काम छोड़ दिया और गायब हो गई।
तब से यह महत्वाकांक्षी बाइपास प्रोजेक्ट पूरी तरह रुका हुआ है।
स्क्रीनिंग कमेटी में 6 महीने से फंसी फाइल
266 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस बाइपास में—
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2 बड़े पुल
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7 मध्यम पुल
का निर्माण प्रस्तावित है।
सभी तकनीकी और प्रशासनिक प्रक्रियाएँ पूरी होने के बाद फाइल दिल्ली भेजी गई, लेकिन 6 महीने से कोई कार्रवाई न होने से निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है।
20 हजार लोगों की रोजाना परेशानी
केशकाल घाट में प्रतिदिन भारी जाम लगता है,
और 20,000 से अधिक लोग रोज यहां से आवाजाही करते हैं।
इसी वजह से NH-30 को बस्तर की लाइफ़लाइन कहा जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बाइपास निर्माण को गति देने के लिए भी अब बड़े स्तर पर आंदोलन की आवश्यकता है।
6.97 करोड़ से चालू हुआ मरम्मत कार्य
केशकाल नगरवासी लगातार आंदोलन और चक्का जाम कर रहे थे।
इसके बाद राजमार्ग विभाग ने आखिरकार 6.97 करोड़ रुपये की लागत से सड़क मरम्मत कार्य शुरू किया है।
लोगों का कहना है—
“हर बार सरकार को जगाने आंदोलन क्यों करना पड़ता है? क्या समस्याएँ खुद दिखाई नहीं देतीं?”