काउंसलिंग, ज्वाइनिंग सभी प्रक्रिया फिलहाल स्थगित, कोर्ट ने शासन को लगाई फटकार

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में प्राचार्य प्रमोशन को लेकर चल रही विवादित प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 9 जून 2025 तक सभी प्रकार की काउंसलिंग और ज्वाइनिंग प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य शासन और स्कूल शिक्षा विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में प्राचार्य पद पर कोई नई नियुक्ति न की जाए।

कोर्ट ने जताई नाराजगी, ज्वाइनिंग को बताया अवमानना

बुधवार, 7 मई को हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकार ने पहले ही यह आश्वासन दिया था कि अगली सुनवाई तक कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके 30 अप्रैल को प्रमोशन सूची जारी कर दी गई और 1 मई से व्याख्याताओं को प्राचार्य पद पर कार्यभार सौंपा गया, जिसे कोर्ट ने आदेश की सीधी अवमानना माना है।

कितने शिक्षकों ने ज्वाइन किया? कोर्ट ने मांगी पूरी रिपोर्ट

कोर्ट ने सवाल उठाए कि आखिर किसके आदेश से ज्वाइनिंग दी गई? राज्य शासन से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी गई है कि कितने व्याख्याताओं को कार्यभार सौंपा गया और किस-किस अधिकारी की भूमिका इसमें रही। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 9 जून तय की है, जिसमें यह भी संभावना है कि मामले में अंतिम फैसला सुनाया जा सकता है।

खाली हैं सैकड़ों पद, लेकिन कोर्ट का आदेश सर्वोपरि

राज्य शासन ने कोर्ट से आग्रह किया कि प्राचार्य के सैकड़ों पद खाली हैं और नए सत्र की शुरुआत 16 जून से होनी है, ऐसे में काउंसलिंग और नियुक्ति की अनुमति दी जाए। लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया और कोर्ट ने भी साफ कर दिया कि 9 जून तक कोई प्रक्रिया नहीं होगी।

डीईओ और शिक्षकों की मिलीभगत पर भी सवाल

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि जिन व्याख्याताओं को हाईकोर्ट की रोक के बावजूद कार्यभार सौंपा गया, उसमें डीईओ की मिलीभगत की आशंका है। कई जिलों में बिना काउंसलिंग के ही ज्वाइनिंग की पुष्टि की गई है, जो नियमों के विपरीत है। कोर्ट ने ऐसे मामलों पर शासन से स्पष्टीकरण और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।

बड़ी संख्या में हुए थे प्रमोशन

30 अप्रैल को स्कूल शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग ने ई संवर्ग के 1524 और टी संवर्ग के 1401, कुल 2925 शिक्षकों को प्राचार्य पद पर पदोन्नत करने की सूची जारी की थी। अब यह पूरी प्रक्रिया कोर्ट के आदेश के अधीन है।

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